जमशेदपुर : वर्तमान की यह विपरित परिस्थिति में हमारा एक दूसरे के विचारों का एक समागम एक विशेष विषय जो कोरोना काल के इस लॉकडाउन से हम सब अवगत हैं। सभी विद्यालय, महाविद्यालय एवम विभिन्न संस्थान का खुलना भी संभव नहीं हैं, इसके अतिरिक्त इस तरह के ऑनलाइन कार्यक्रम ” आईन ए शब” (शायरों की महफिल) बहुत ही उम्दा पहल थी। इन हालातों में छात्रों को साहित्य एव संस्कृति से जोड़ना और व्यक्तियों के विचारों को एक प्रवाह में बहने देना आवश्यक हो जाता हैं। ऐसे ही कुछ दृष्टिगत बातों को ध्यान में रखते हुए करीम सिटी कॉलेज स्पार्क (सोसाइटी ऑफ प्रोमोशन ऑफ आर्ट एंड कल्चर ) द्वारा “आईना ए शब के संस्करण 2 मुशायरा का कार्यक्रम हुआ। इस सम्मेलन में उर्दू के प्रख्यात शायर एवम शायरा रौनक अफ़रोज़, तलत परवीन, डॉ नुसरत मेहंदी, तजावर सुल्ताना, सबा अजीज, डॉ जोया ज़ैदी ने अपनी अपनी शायरी (काव्य) प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम को गूगल मीट के द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम की मेजबानी इरम सिद्दीकी द्वारा की गई। जिसमें की कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मोहम्मद रेयाज, स्पार्क के संयोजक डॉ. एस एम यहीया इब्राहिम, कॉलेज के प्रोफ़ेसर, तथा बीते हुए आईना ए शब के संस्करण के मेहमान, स्पार्क स्टूडेंट कमिटी के सभी सदस्य और छात्र शामिल थे | इसके अलावा कॉलेज के अन्य छात्रों और साहित्य के प्रशंसकों के लिए इसे स्पार्क के ऑफिसियल फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी लाइव प्रसारित किया गया | इस संचालित कार्यक्रम में सभी शायरों के अल्फाज़ डॉ नुसरत मेहंदी “इश्क में मजनू फराद नहीं होने के, ये नए लोग हैं बर्बाद नही होने के”, ताजावर सुल्ताना के” जब से वह हमसफर मिल गया, जीने का हुनर म गया” जोया ज़ैदी के “नर्म कोहरे की सुरमई चादर हमसे ऐसे लिपट कर चलती है”, सबा अजीज के ” बहुत तेजी से बदला हैं ये, यादों के फूलों का बिखरना भी जरूरी था तलत परवीन के अपना सर तेरी चौखट से टकराऊं, में तेरी गम में रो रोकर मार जाऊं”, और रौनक अफ़रोज़ के “सबसे पहले वो मुझे शीशा करे बाद फिर आराम से देखा करे” ने इस तनावयुक्त समय को ताजगियों से भर दिया । इस आयोजन मैं धन्यवाद ज्ञापन डॉ एस एम याहिया इब्राहिम द्वारा दिया गया। जो लोग किसी कारणवश शामिल ना हो पाए हो उनके लिए अब भी कार्यक्रम का रिकॉर्डेड संस्करण यूट्यूब और फेसबुक पेज पर मौजूद है।
करीम सिटी कॉलेज में आईना-ए-शब 2.0 का आयोजन
