जमशेदपुर : भोजपुरी जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय संयोजक राजेश भोजपुरिया ने राज्य सरकार से माँग की है कि भोजपुरी समेत तीन भाषाओं को झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में अन्य स्थानीय भाषाओं के साथ शामिल किया जाय।
ज्ञात हो कि, बिहार राजभाषा (झारखण्ड संशोधन) अधिनियम,2018(झारखण्ड अधिनियम,20,2018 के तहत झारखण्ड राज्य में भोजपुरी,मगही,मैथिली तथा अंगिका भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा 2018 में ही प्रदान किया गया था।विधेयक विधानसभा से पारित भी हुआ था और संख्या-एल.जी.06/2018 – 175/लेज. – झारखण्ड विधानमंडल का यह अधिनियम जिस पर माननीय पूर्व राज्यपाल द्वारा 5 अक्टूबर,2018 को अनुमति देते हुये 29अक्टूबर,2018 को अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। जब इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान है तो फिर स्थानीय भाषाओं के साथ इन्हें भी शामिल होना है।
परन्तु वर्तमान राज्य सरकार द्वारा झारखण्ड राज्य कर्मचारी चयन आयोग के प्रतियोगी परीक्षाओं में पूर्व में द्वितीय राजभाषा के दर्जा प्राप्त 12 भाषाओं को ही शामिल किया है जिसमें संथाली, बंगला,मुण्डारी,उर्दू,हो,खड़िया,कुडुख(उराँव),कुरमाली,खोरठा,नागपुरी,पंचपरगनिया तथा उड़िया भाषा को शामिल किया है।ये कही से सही नही है।सरकार द्वारा स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में प्रतियोगी परीक्षा लेने की बात की जाती है तो उन सभी भाषाओं को शामिल करना चाहिये जिसे राज्य में द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान है। राज्य में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या लाखों में है जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद,चतरा,पलामू, डालटेनगंज,कोडरमा,रांची अन्य जिलों में भोजपुरी,अंगिका, मगही ,मैंंथिली भाषा-भाषियों की संख्या बहुतायत है।राज्य में सालों से रह रहे मूल निवासी के रूप में हजारों की संख्या में इन भाषाओं से जुड़े विद्यार्थियों को राज्य चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित रहना पड़ेगा ।सरकार इस पर संज्ञान लेते हुये इसमें संशोधन करें और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ इन सभी भाषओं को इस सूची में शामिल करे।
क्षेत्रीय भाषा में भोजपुरी,मगही, मैथिली व अंगिका भाषा को शामिल किया जाय – राजेश भोजपुरिया
