जमशेदपुर : 133 एकड़ भूमि में फैलें ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क में शव दफनाने , मजार व मस्जिदे बनाकर दखल करने का काम जारी है ।
इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने
बताया कि पहले इस पार्क का नाम अल्फ्रेड पार्क था ।
यहां चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों के हाथ लगने से पूर्व ही अपनी कनपटी में गोली मारकर अपने आप को शहीद कर लिया था ।
अल्फ्रेड एक अंग्रेज अधिकारी था जो 1870 में भारत आया था । उसी के नाम पर पार्क का नाम पड़ा था । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात इस पार्क का नाम चंद्रशेखर आजाद पार्क किया गया ।
अब यह भारत वासियों के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ तीर्थस्थल है ।
श्री पोद्दार ने बताया कि विगत के कुछ वर्षों से इस पार्क में विधर्मियों के द्वारा कब्र व मजारें बनाई जा रही है और इस प्रकार इस पार्क को दखल करने की साजिश की जा रही है ।
श्री पोद्दार ने 3 सितंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी को ट्वीट कर आग्रह किया है कि चंद्रशेखर आजाद पार्क में शव दफनाने , मजारे व मस्जिदे बनाने के कार्य को रुकवाने की कृपा करें ।
इसी ट्वीट में महंत योगी आदित्यनाथ के कार्यालय , प्रधानमंत्री कार्यालय , प्रयागराज पुलिस , डी एम प्रयागराज , एडिशनल जनरल ऑफ पुलिस प्रयागराज , इंस्पेक्टर जनरल आफ पुलिस प्रयागराज को भी ट्वीट किया गया है ।
इस ऐतिहासिक धरोहर को नष्ट होने से बचाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा भी चल रहा है ।
कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रयागराज नगर निगम के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद पार्क से जुड़े कागज उद्यान विभाग से गायब है । इस प्रकार माना जा रहा है कि इसके पीछे वे जमीन जिहादी है जिन्होंने इस पार्क पर कब्जा करके मस्जिदे एवं मजारें बनायी है । अब वहां शव भी दफनाए जा रहे हैं ।
विदित हो कि चंद्रशेखर आजाद पार्क 133 एकड़ भूमि में फैला हुआ है । जानकारी के अनुसार लगभग 25 – 30 साल पहले वहां मजार बनाई गई थी । तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तोड़ने का आदेश भी दिया था लेकिन इसका पालन नहीं हो सका क्योंकि उस समय ऐसे लोगों की सरकार थी जो इनको बढ़ावा देते रहे है ।
मजार को तोड़ने के आदेश का पालन तो नहीं ही हुआ बल्कि और मस्जिदे भी बना दी गई
आज वहां लगभग बीस मजारे एवं 3 मस्जिदे बनाई जा चुकी है ।
कहा कि लगभग 5 माह पूर्व एक मुकदमा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हमारे परिचित सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह बिसेन के द्वारा फिर से दाखिल करवाया गया है ।
कहा कि इतने महान स्वतंत्रता सेनानी से जुड़े इस पार्क पर अतिक्रमण होना मामूली घटना नहीं है । एक साजिश के तहत एक वर्ग ने इस पर कब्जा किया और जिनके ऊपर अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी थी उन्होंने अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर चुप्पी साध ली ।
भारतीय जन महासभा ने चंद्रशेखर आजाद पार्क में अनेक कब्र एवं मस्जिदों के बनाये जाने पर अत्यंत ही दुःख प्रकट किया है ।
भारतीय जन महासभा ने मांग की है कि चंद्रशेखर आजाद पार्क से संबंधित जो कागजात गायब हुए हैं , उनकी केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच करवा कर दोषी अधिकारियों को कड़ा से कड़ा दंड दिया जाना चाहिए ।
यह भी मांग की है कि तत्काल प्रभाव से वहां कोई भी निर्माण कार्य को रोका जाना चाहिए ।
भारतीय जन महासभा ने कहा है कि संबंधित पदाधिकारी एवं राज्य सरकार अगर हमारी मांगों पर आगामी 3 महीनों के अंदर ध्यान नहीं देती है तो हमें बाध्य होकर माघ मेला की समाप्ति पर हजारों हिंदुओं के साथ डीएम प्रयागराज के कार्यालय का घेराव कर राज्य सरकार को प्रेषित अपना रोष प्रकट करते हुए विरोध पत्र देना पड़ेगा और इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी ।
यह जानकारी भारतीय जन महासभा के द्वारा जारी की गयी एक विज्ञप्ति में दी गई है ।