जमशेदपुर :आज मंगलवार को एनसीपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह जनभावन सामाजिक संस्था के संरक्षक डाँ पवन पाण्डेय ने एक प्रेस विग्यप्ति जारी कर कहा कि निजी स्कूलों द्वारा कोविड-19 महामारी के वक्त आनलाईन पढाई के नाम पर जबरन फीस वसूली से अभिभावकों को बडी राहत दिलाने वाला फैसला किया है।जिसका देश के सभी राज्यों सहित झारखंड में भी सख्ती से पालन कराना होगा। आज ही माननीय सुप्रीम कोर्ट का यह दिशानिर्देश जारी हुआ है कि जिसमें कहा गया है कि एक ओर लोग महामारी के चलते विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। वहीं दुसरी ओर निजी स्कूल मैनेजमेंट को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। स्कूल के बच्चों और अभिभावकों को ऐसी मुश्किल वक्त में राहत पहुंचाने वाले कदम उठाने चाहिए।क्योंकि कोविड-19 के दौरान स्कूल नहीं खुल रहे है लेकिन आनलाईन क्लासेज चल रही हैं। उन्हें अपने कैंपस में दी जाने वाली कई सुविधाओं का खर्च नहीं उठाना पड़ रहा है। इसलिए संचालन का खर्च कम हो गया है। इसलिए उन्हें आनलाईन क्लासेज की फिस जरूर घटानी चाहिए।क्योंकि स्कूल प्रबंधन कानूनन तो ऐसी सुविधाओं के लिए स्कूल फीस नहीं ले सकता है। जो वह इन हालात के चलते छात्रों को नहीं मिल पा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि कि ऐसी सुविधाओं के लिए फीस लेना मुनाफे और व्यवासायीकरण मे शामिल होने जैसा ही है। वर्ष 2020-2021 मे स्कूल लंबे समय तक लगभग लाकडाउन के चलते नही खुले हैं।ये बात सभी जानते हैं।और कानूनन भी इसे नोटिस में लिया गया है।निश्चित तौर पर स्कूलों ने पेट्रोल डिजल बिजली पानी मेनटेनेंस और सफाई पर बार बार होने वाले खर्च बचाए हैं। क्योंकि राजस्थान के कई निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी। जिसमें स्कूलों को 30% फीस माफ करने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा-ऐसा कोई कानून नहीं है जो राज्य सरकार को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार देता हो पर हम भी यह मानते हैं कि स्कूलों को फीस घटानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से खासकर मध्यमवर्ग को इस करोना महामारी मे बहुत बडी राहत मिलेगी।क्योंकि घर में आपनी जान को बचाने के लिए बैठा मध्यमवर्ग अपने बेरोजगारी से पहले से ही बहुत परेशान हैं।उसपर स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस लगभग 25% बढाकर और जबरन वसूली करना और फीस नहीं जमा करने पर बेइज्जत करना।इससे बडी रहत मिलेगी।
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