उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बुधवार को हुए जनसंहार मामले में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सोनभद्र जाने पर अड़ी हैं. मिर्जापुर पुलिस ने शुक्रवार को उन्हें वहां जाने से रोक रखा है. इसके बाद प्रियंका गांधी पूरी रात चुनार गेस्टहाउस में रहीं. देर रात तक अफसरों का मिर्जापुर गेस्ट हाउस आनाजाना लगा रहा उन्हें मनाते रहे लेकिन प्रियंका गांधी ने भी साफ कर दिया कि वह नरसंहार पीड़ितों से मिले वगैर वापस नहीं लौटेंगी.
योगी सरकार की नींद गायब
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के एक दांव ने योगी सरकार की नींद गायब कर दी. रातभर यूपी सरकार के बड़े-बड़े अफसर चुनार किला में बने गेस्ट हाउस के चक्कर काटते रहे. प्रियंका गांधी को मनाने की कोशिश करते रहे कि वो सोनभद्र जाने की जिद छोड़ दें. उनसे मिलने वाराणसी जोन के एडीजी, कमिश्नर और डीआईडी पहुंचे. लेकिन, प्रियंका ने इन सभी आलाधिकारियों से साफ-साफ कह दिया कि वह बिना सोनभद्र नरसंहार पीड़ितों से मिले वापस नहीं लौटेंगी.
दरअसल, शुक्रवार को प्रियंका ने सोनभद्र नरसंहार पीड़ितों से मिलने का फैसला किया. वाराणसी के रास्ते सोनभद्र के लिए रवाना हुईं. सोनभद्र के कलेक्टर ने जिस उभ्भा गांव में नरसंहार हुआ वहां और उसके आसपास के इलाकों में धारा 144 लगा दी. इस दौरान प्रियंका को मिर्जापुर पुलिस ने नारायनपुर पहुंचते ही रोक लिया. ऐसे में प्रियंका ने पुलिसवालों से रोने जाने की वजह पूछी और धरने पर बैठ गईं. बाद में उन्हें धारा 144 का उल्लंघन करने पर हिरासत में लेकर चुनार किला में बने गेस्ट हाउस लाया गया.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत 10 लोगों पर शांति भंग करने की आशंका में आईपीसी की धारा 151 और 107/16 लगाई गई है. प्रियंका को हिरासत में रखा गया है. प्रशासन की दलील है कि ये जमानती धारा है. वहीं, प्रियंका ने दो टूक कह दिया है कि न जमानत लेंगी. न बिना नरसंहार पीड़ितों से मिले वापस लौटेंगी. एक के बाद एक कई ट्वीट्स प्रियंका गांधी ने किए.
प्रियंका गांधी के ट्वीट्स
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि यूपी सरकार ने एडीजी वाराणसी बृज भूषण, वाराणसी कमिश्नर दीपक अग्रवाल, कमिश्नर मीरजापुर, डीआईजी मिर्जापुर को मुझे ये कहने के लिए भेजा कि मैं यहां से पीड़ित परिवारों से मिले बगैर चली जाऊं. सब एक घंटे से मेरे साथ बैठे हैं. न मुझे हिरासत में रखने का कोई आधार दिया है न कागजात दिए.
वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘मैं किसी धारा का उल्लंघन करने नहीं बल्कि पीड़ितों से मिलने आई थी. सरकार के दूतों से कहा है कि बगैर मिले मैं यहां से वापस नहीं जाऊंगी.’
दरअसल, प्रियंका चाहती हैं कि उन्हें सोनभद्र के उभ्भा गांव जाने दिया जाए, वो अकेले भी नरसंहार पीड़ितों से मिलने जाने के लिए तैयार हैं. मतलब कोई तामझान नहीं चाहिए. नरसंहार पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाकर प्रियंका संदेश देना चाह रही है कि कमजोरों के साथ हमेशा मजबूती से कांग्रेस का हाथ रहेगा, दूसरी ओर कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने का कांग्रेस को अच्छा मौका मिल गया है.
ठीक से बिजली तक का इंतजाम नहीं
प्रियंका गांधी को हिरासत में लेकर जिस गेस्टहाउस ले जाया गया, वहां बिजली तक का इंतजाम नहीं था. लोकल फाल्ट के कारण चुनार गेस्ट हाउस की बिजली कट गई है. प्रियंका अंधेरे में ही गेस्ट हाउस में कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रही हैं. रौशनी के लिए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने या तो मोमबत्ती जला दी या फिर मोबाइल की टॉर्च से अंधेरे को दूर करने की कोशिश की. आनन-फानन में बिजली का भी इंतजाम किया गया.
चुनार किले के बाहर कांग्रेसी जमे रहे. जहां उनकी महासचिव को हिरासत में रखा गया था. रात करीब 8 बजे चुनार गेस्ट हाउस की बिजली चली जाने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार पर जान-बूझकर बिजली कटौती का आरोप लगाया है. उनका कहना है, ‘वे प्रियंका गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को परेशान करना चाहते हैं, ताकि हम जगह छोड़ दें. लेकिन हम यहां रात मोमबत्तियों के साथ बिताएंगे और अपना विरोध जारी रखेंगे.
देश के कोने-कोने से कांग्रेस हाथों में तख्तियां लेकर प्रियंका गांधी के समर्थन में उतर रहे हैं. वहीं शनिवार का किसान कांग्रेस के कार्यकर्ता पूरे देश में बीजेपी कार्यालयों के बाहर विरोध जताएंगे. प्रियंका का इस एक्शन से सियासी पार्टियों में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने सोनभद्र में 4 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल भेजने का ऐलान किया है. फिलहाल, तो प्रियंका मिर्जापुर में जमी हुई हैं और शायद एसपी और बीएसपी भी सोनभद्र नरसंहार के मुद्दे पर अपनी रणनीति बनाने में जुटी होंगी.
क्या है सोनभद्र का मामला
गौरतलब है कि बुधवार को सोनभद्र जिले में भूमि विवाद को लेकर हुई हिंसा में 10 लोगों की हत्या हो गई थी, जबकि 24 से भी अधिक लोग घायल हो गए थे. रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना तब हुई जब एक जमीन के टुकड़े को लेकर गुजर और गोंड समुदाय के बीच विवाद हुआ.