जमशेदपुर : जमशेदपुर के प्रसिद्ध वसावा सिंह भाटिया परिवार के सरदार रविंद्र सिंह भाटिया नहीं रहे। उनका इलाज चेन्नई अपोलो अस्पताल में चल रहा था, इलाज के क्रम में रविवार की रात 11 बजे निधन हो गया। उनका दाह संस्कार भुइयांडीह स्वर्णरेखा घाट पर होगा सभी विधि करने के बाद। अंतिम यात्रा उनके काशीडीह स्थित आवास से साकची गुरुद्वारा होते हुए स्वर्णरेखा बर्निंग घाट पहुंचेगी ।
इस घटना की जानकारी गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू एवं भाई राजू भाटिया ने दी है। हरविंदर सिंह ने बताया कि रविंद्र सिंह भाटिया को प्रोटेस्ट ग्रंथि में कैंसर था और उसका इलाज वेल्लोर क्रिश्चियन मेडिकल अस्पताल में चल रहा था। जहां इसका ऑपरेशन होना था। कमजोर शरीर होने के कारण 3 महीने बाद आने के लिए कहा गया तो वे परिवार के साथ चेन्नई हवाई अड्डे पहुंचे। यहां तबीयत बिगड़ने लगी तो अपोलो अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
उनकी धर्मपत्नी सतविंदर कौर रज्जू तथा बेटा हर्ष सिंह भाटिया थे। रविंद्र सिंह भाटिया गुरु नानक स्कूल के सचिव तथा वीर खालसा दल के अध्यक्ष तथा अन्य कई संस्थाओं से जुड़े हुए थे। निधन की जानकारी मिलते ही सिख समाज एवं व्यापारी वर्ग से जुड़े प्रतिष्ठित लोग उनके घर पहुंचे और परिवार वालों को ढांढस बंधाया। वे अपने पीछे दो बेटी एवं एक बेटा छोड़ गए हैं। एक बेटी अमेरिका में है। उनके निधन पर साकची कमेटी के चेयरमैन गुरदेव सिंह राजा, हरदयाल सिंह, महासचिव दलबीर सिंह, कैशियर अजीत सिंह गंभीर, हरभजन सिंह पप्पू, सुखविंदर सिंह राजू, तख्त श्री हरमंदिर साहिब प्रबंधन कमेटी के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, झारखंड गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान शैलेंद्र सिंह, झारखंड सिख विकास मंच के गुरदीप सिंह पप्पू ने शोक जताया है।
शोक सभा में रविंद्र सिंह भाटिया को दी गई श्रद्धांजलि
वीर खालसा दल के अध्यक्ष एवं गुरु नानक उच्च विद्यालय के सचिव रविंद्र सिंह के निधन पर स्कूल परिसर में शोक सभा हुई। प्रधान हरविंदर सिंह मंटू, मिडिल स्कूल के हेड मास्टर हरजीत सिंह, मॉडर्न स्कूल कर्मी श्याम सिंह भाटिया, हाई स्कूल के सभी स्टाफ इसमें शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि रविंद्र सिंह संत प्रवृत्ति के थे और समाज के लिए बढ़-चढ़कर सेवाएं करते थे।गरीब बेटियों की शादियों में वे पर्याय बने हुए थे। ओल्ड एज होम का भी संचालन करते रहे हैं. उनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।
इस मौके पर 2 मिनट का मौन धारण किया गया और मृत आत्मा को श्रद्धांजलि देते हुए वाहेगुरु से अरदास किया गया कि शोक संतप्त परिवार को दुख सहने की शक्ति दे।