टाटा स्टील ने जमशेदपुर में ब्लास्ट फर्नेस गैस से कार्बन डायऑक्साइड को कैप्चर करने के लिए भारत के पहले प्लांट की शुरूआत की

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  • टाटा स्टील ने जमशेदपुर में ब्लास्ट फर्नेस गैस से कार्बन डायऑक्साइड को कैप्चर करने के लिए भारत के पहले प्लांट की शुरूआत की
  • कार्बन कैप्चर प्लांट की क्षमता 5 टन प्रति दिन (टीपीडी) है
  • स्टील वैल्यू चेन के अंदर प्लांट का अर्ध-वाणिज्यिक उपयोग किया जा सकता है
  • इस प्लांट के साथ टाटा स्टील का जमशेदपुर प्लांट स्टील उद्योग में दुनिया का अद्वितीय और अपनी तरह का पहला प्लांट बना।

जमशेदपुर : टाटा स्टील ने आज अपने जमशेदपुर वर्क्स में 5 टन प्रति दिन (टीपीडी) क्षमता वाले कार्बन कैप्चर प्लांट का शुभारंभ किया, जिससे यह ऐसी कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी अपनाने वाली देश की पहली स्टील कंपनी बन गई, जो ब्लास्ट फर्नेस गैस से सीधे कार्बन डायऑक्साइड खींच निकालती है। सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए टाटा स्टील साइट पर निकाले गए (कैप्चर किए गए) कार्बन डायऑक्साइड का पुनः उपयोग भी करेगी।

यह कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइज़ेशन (सीसीयू) सुविधा अमाइन-आधारित टेक्नोलॉजी का उपयोग करती है और कैप्चर किए गए कार्बन का पुनः उपयोग के लिए इसे साइट पर ही उपलब्ध कराती है। इस प्रकार क्षीण कार्बन डायऑक्साइड गैस को बढ़े हुए ऊष्मीय मान (कैलोरीफिक वैल्यू) के साथ गैस नेटवर्क में वापस भेज दिया जाता है। इस परियोजना को ’कार्बन क्लीन’ नामक संस्थान के तकनीकी सहयोग से कार्यान्वित किया गया है, जो कम लागत वाली कार्बन टेक्नोलॉजी कैप्चर टेक्नोलॉजी में एक वर्ल्ड लीडर है।

आज कंपनी के अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में टाटा स्टील के सीईओ व एमडी टी. वी. नरेंद्रन ने इस सीसीयू प्लांट का उद्घाटन किया।
इस मौके पर श्री नरेंद्रन ने कहा, “टाटा ग्रुप के पथप्रदर्शक मूल्यों के अनुरूप, हमने डी-कार्बोनाइजेशन की दिशा में अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम उठाया है। हम बेहतर कल के लिए नये मानक स्थापित कर सस्टेनेबिलिटी में इंडस्ट्री लीडर बने रहने की अपनी खोज जारी रखेंगे। विश्व स्तर पर और विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देश में स्टील इंडस्ट्री की स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि हम बड़े पैमाने पर कार्बन डायऑक्साइड को कैप्चर कर इसका उपयोग करने के लिए किफायती समाधान खोजें। उत्सर्जन को कम करने, कम लागत वाली स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंचने और सर्कुलर इकोनॉमी समाधान प्रदान करने में लीडरशिप ही इस सेक्टर में हमारी आगे की यात्रा को परिभाषित करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इस ‘5-टन पर डे’ कार्बन डायऑक्साइड कैप्चर प्लांट से प्राप्त परिचालन अनुभव हमें भविष्य में बड़े कार्बन कैप्चर प्लांट स्थापित करने के लिए आवश्यक डेटा और आत्मविश्वास देगा। अगले कदम के रूप में, हमारा लक्ष्य उपयोग के तरीके के साथ कार्बन डायऑक्साइइड कैप्चर को समेकित कर इसकी उत्क्रमित इकाइयां स्थापित करना है।’’
टाटा स्टील अपनी कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन तीव्रता और विशिष्ट ताजे पानी की खपत को कम कर, एक सस्टेनेबल सप्लाई चेन विकसित कर और भविष्य की सर्कुलर इकोनॉमी में योगदान दे कर सस्टेनेबिलिटी में इंडस्ट्री लीडर बनने के अपने लक्ष्य पर काम जारी रखे हुए है। कंपनी ने डी-कार्बोनाइजेशन के लक्ष्य की खोज में कार्बन डायरेक्ट अवॉइडेंस (सीडीए) और कार्बन डाईऑक्साइड को पकड़ (कैप्चर) कर इसका उपयोग करने का दो तरफा दृष्टिकोण अपनाया है।

‘कार्बन क्लीन’ के सीईओ अनिरुद्ध शर्मा ने कहा, “इस सफल परियोजना पर टाटा स्टील के साथ काम कर हमें बेहद प्रसन्नता हो रही है। वर्तमान में हम प्रति दिन 5 टन कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चर कर रहे हैं, लेकिन हमारे सफल प्रदर्शन के बाद, हम कार्बन कैप्चर परियोजनाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि करने की योजना बना रहे हैं। ब्लास्ट फर्नेस गैस से कार्बन डायऑक्साइड को पकड़ने से न केवल स्टील प्लांट कार्बन-रहित बनेंगे, बल्कि हाइड्रोजन इकोनॉमी के रास्ते भी खुलेंगे।
कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू) जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण साधन है। सीसीयू के क्षेत्र में ’टाटा स्टील’-’कार्बन क्लीन’ सहयोग एक सामयिक पहल है और स्थायी कल की दिशा में एक कदम है।
पिछले कुछ वर्षों में टाटा स्टील ने स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन व उपयोग और वेस्ट हीट (अपशिष्ट ताप) रिकवरी टेक्नोलॉजियों को अपनाने के लिए कई पहल की है। टाटा स्टील ‘रिस्पॉन्सिबलस्टील’ का एक सदस्य है, जो सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग की पहली वैश्विक मल्टी-स्टेकहोल्डर स्टैंडर्ड व सर्टीफिकेशन पहल है।
टाटा स्टील ने अपनी स्टील रिसाइक्लिंग बिजनेस पहल में भी प्रगति की है, जो सस्टेनेबल स्टील के उत्पादन की दिशा में एक ठोस कदम है। कंपनी ने हरियाणा के रोहतक में अपना पहला स्टील रिसाइक्लिंग प्लांट स्थापित किया है, जो कम कार्बन-उत्सर्जन, कम संसाधन-खपत और कम ऊर्जा-उपयोग को सक्षम करेगा।

टाटा स्टील इंडिया और टाटा स्टील यूरोप, दोनों को ‘वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (वर्ल्डस्टील)’ ने लगातार चार बार स्टील सस्टेनेबिलिटी चैंपियंस के रूप में सम्मानित किया है। यह सम्मान टाटा स्टील के सस्टेनेबल बिजनेस अभ्यासों के प्रति इसकी कटिबद्धता का प्रमाण है।
सितंबर 2020 में, टाटा स्टील ने कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन ऐंड स्टोरेज (सीसीयूएस) के क्षेत्र में काम करने के लिए वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ हाथ मिलाया था, ताकि देश में पेरिस समझौता के तहत डी-कार्बोनाइजेशन की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके।
‘कार्बन क्लीन’ के बारे में
‘कार्बन क्लीन’ कम लागत वाली कार्बन डायऑक्साइड कैप्चर टेक्नोलॉजी में एक वर्ल्ड लीडर है। इस कंपनी की पेटेंट की हुई टेक्नोलॉजी मौजूदा तकनीकों की तुलना में कार्बन सेपरेशन की लागत और पर्यावरणीय प्रभावों को काफी कम कर देती है।
यूके, यूएसए, जर्मनी, भारत, नॉर्वे और नीदरलैंड सहित 10 से अधिक स्थानों पर पॉवर, सीमेंट, रिफाइनरियों, सीएचपी और भारी उद्योग बॉयलरों में यह टेक्नॉलाजी बड़े पैमाने पर कारगर साबित हुई है। फिलहाल केमिकल सेक्टर में भारत के तूतीकोरिन में स्थित औद्योगिक पैमाने पर दुनिया के सबसे बड़े कार्बन कैप्चर और यूटिलाइजेशन प्लांट में इस टेक्नॉलाजी का उपयोग किया जा रहा है। ब्रिटेन की सरकार ने प्रतिस्पर्धी अनुदानों के माध्यम से ’कार्बन क्लीन’ को के अपनी टेक्नोलॉजी विकसित करने में मदद की है।

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कंपनी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा ’टेक्नोलॉजी पायनियर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और हाल ही में इसे ‘सीमेक्स वेंचर टॉप्स50 कॉनटेक’ स्टार्टअप्स में से एक के रूप में चुना गया और इसे ‘2021 ग्लोबल क्लीनटेक 100 कंपनी’ का तमगा भी दिया गया।

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