जमशेदपुर : ई वेस्ट ( ई- कचरा)अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट वे इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ हैं जिन्हें हम कभी अपनी सुविधा के लिए इस्तमाल किया करते थे, लेकिन ख़राब हो जाने से उन्हें अब हम और इस्तमाल नहीं करते हैं।
प्रतिवर्ष करीब 50 मिल्यन टन का ई- वेस्ट पूरी दुनिया में पैदा होता है. यदि ठीक तरीके से उन्हें ठिकाने नहीं लगाया गया या उनका पुनःचक्रण का प्रक्रमण नहीं हुआ तब ये भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है. चूँकि अब तकनीकी जगत काफ़ी उन्नत हो रहा है इसलिए पुराने उपकरण नए के आने से अप्रचलित हो जाते हैं।
विद्या भारती चिन्मय विद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा ई-कचरा एकत्र किया गया और आज गुरूवार को रीसाइक्लिंग अर्थात् पुनःचक्रण के लिए जेएनएसी को सौंप दिया गया। यह जेएनएसी द्वारा शुरू किया गया एक अभियान था। इस अभियान में छात्रों और विद्यालय कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इससे पहले जेएनएसी द्वारा कक्षा 9 और 11 के छात्रों और विद्यालय कर्मचारियों के लिए भी जागरूकता सत्र आयोजित किया गया था।
विद्यालय प्राचार्या श्रीमती मीना विल्खु ने जेएनएसी के इस अभियान को हमारे सुरक्षित भविष्य के लिए आवश्यक बताते हुए सम्बंधित कृत्य से जुड़े लोगों की सराहना की।