रांची :- बिहार में भारी बारिश और नेपाल से पानी छोड़े जाने के चलते बाढ़ का कहर अब तक जारी है। जबकि झारखंड की स्थिति इसके ठीक उलट है। राज्य में 19 जुलाई तक औसत से 40% कम बारिश हुई है। अभी तक प्रदेश में औसत 399.4 मिलीमीटर बारिश हाेनी चाहिए थी पर वास्तव में केवल 237.7 मिलीमीटर बारिश हुई है।
पिछले साल इस समय तक 240.3 एमएम बारिश हुई थी। कृषि वैज्ञानिकाें ने बताया कि झारखंड में जून के अंत में ही धान का बिचड़ा लगाने की परंपरा है इसलिए अभी तक की पानी की कमी से बहुत नुकसान नहीं हुआ है पर अब बारिश नहीं हुई ताे इसके खतरनाक परिणाम हाे सकते हैं।
रांची माैसम केंद्र के वैज्ञानिक आरएस शर्मा ने बताया कि राज्य में 10 जून से मानसून का आगमन हाेता है। पर इस बार गुजरात के पास आए वायु नामक साइक्लोन के कारण मानसून 11 दिन की देरी से 21 जून को पहुंचा। इसके अलावा जुलाई में मानसून ब्रेक हाे गया। एक सप्ताह बारिश नहीं हुई। अब अनुमान है कि 23 जुलाई से राज्य में बारिश हाेगी, 26 जुलाई के बाद तेज बारिश हाेगी।
खूंटी : औसत से 64% कम वर्षा
बोकारो, चतरा, धनबाद और गढ़वा में औसत से 50-55% कम बारिश हुई। गोड्डा, पाकुड़ में बारिश की कमी 60% से ज्यादा है। खूंटी में औसत से 64% कम वर्षा हुई है।
साहेबगंज में औसत से 20% ज्यादा
राज्य में अकेला साहेबगंज ऐसा जिला है, जहां औसत से 20% अधिक 614.4 मिमी. बारिश हुई है। बाकी सभी जिलों में औसत से कम बारिश हुई है।
50% होनी थी धान रोपाई…17% ही हुई
कृषि वैज्ञानिक ए वदूद ने कहा कि अभी तक धान का 50% से अधिक कवरेज हाेना चाहिए था, पर केवल 17% हुआ है। अब केवल निचली भूमि में हाेने वाले धान ही अच्छा हो सकता है।
रांची में औसत से 47% कम बारिश
राजधानी रांची में अब तक औसत से 47% कम बारिश हुई है। 19 जुलाई तक 422.1 मिमी. बारिश हो जानी चाहिए थी, मगर 224.6 मिमी. ही हुई है।