जमशेदपुर : टाटा स्टील फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित अपनी तरह का अनूठा अखिल भारतीय आदिवासी सम्मेलन संवाद का आज डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर शुभारंभ हुआ। चर्चा और जश्न का यह सम्मेलन भारत के सबसे श्रद्धेय आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पण के साथ शुरू हुआ, क्योंकि आज ही उनकी जयंती भी है। इस अवसर पर मौजूद टी वी नरेंद्रन, सीईओ ऐंड एमडी, टाटा स्टील और खूंटी, झारखंड में सक्रिय, समुदाय की आवाज रेजन गुरिया ने औपचारिक रूप से इस सम्मेलन का शुभारंभ किया।
श्री नरेंद्रन ने अपने संबोधन में कहा, “संवाद-2020 सातवां संस्करण है। भौतिक रूप से एकत्र होने और आवागमन पर जारी रोक ने हमें इस वर्ष के मॉडल को फिर से व्यवस्थित करने के लिए मजबूर किया है। हम एक ऐसा प्रारूप लेकर आए हैं, जो प्रभावीकारी होगा और दुनिया भर के लोगों के बीच बातचीत को डिजिटल मंच पर लाएगा। एक मंच के रूप में संवाद हम सभी को सामूहिक रूप से अपने बड़े उद्देश्य की खोज करने और परिभाषित करने, उद्देश्यों का निर्माण करने और समावेशन पर केंद्रित वांछित नतीजे प्राप्त करने की सुविधा देता है।
इस वर्ष, सम्मलेन में डिजिटल माध्यम से भारत के 23 राज्यों, 5 केंद्रशासित प्रदेशों और श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, केन्या, फिलीपींस, थाईलैंड और तंजानिया समेत 17 देशों की 114 जनजातियों के 3,000 लोगों का जुटान होगा।
इस वर्ष का विषय ’कमिंग टूगेदर फॉर सोशल चेंज’ है। ‘सामाजिक बदलाव के लिए एक साथ आाने’ की यह अवधारणा एक विश्वास का प्रतिनिधित्व करती है कि आदिवासीवाद के कई निहित पहलू हैं, जो समाज के अंतस्थ मूल्य के रूप में निर्बाधता को कायम रखते हैं, और आदिवासी समुदायों की मूल विकास चुनौतियों को सकारात्मक तौर पर प्रभावित करने के लिए उनके अद्भुत कहानियों के अनमोल सबक को साथ लाते हैं।
संवाद के सातवें संस्करण के सार और विषय के अनुरूप भारत के जनजातीय और देसी समुदायों से सम्मानित नेतृत्वकर्ता और बुजुर्ग सम्मेलन को गति प्रदान करने के लिए एक साथ एक मंच पर आएंगे।
अगले चार दिनों के दौरान आदिवासी महिलाओं और पुरुषों के बीच विचारों का परस्पर-विनिमय होगा। ये सभी ऑनलाइन जुड़ेंगे और विभिन्न जनजातियों की जीवंत संस्कृतियों का जश्न मनाएंगे। ‘संवाद’ की कई शाखाएं है, जिनमें आदिवासी हस्तकला, आदिवासी फिल्म प्रदर्शन, आदिवासी व्यंजन और विभिन्न जनजातियों के सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल है। ये सभी संवाद के महत्वपूर्ण सार-तत्व हैं, जो उनकी पारंपरिक प्रथाओं और समृद्ध विरासत को अपने डिजिटल फुटप्रिंट, जैसे-वेबसाइट (https://www.tatasteel.com/initiatives/samvaad/index.html) और यूट्यूब चैनल (https://www.youtube.com/channel/UCtyIjTKJAYEaMH3BkcHRVzw) के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाएंगे।
आज के उद्घाटन सत्र में चाणक्य चौधरी, वीपी (कॉर्पोरेट सर्विसेज), टाटा स्टील, सौरव रॉय, चीफ (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी), टाटा स्टील, दशमत हांसदा, जुगसलाई तोरोप परगना (पारंपरिक संथाल शासन प्रणाली, पूर्वी सिंहभूम), कृष्ण चंद्र बोदरा, अध्यक्ष, आदिवासी हो समाज महासभा, पश्चिमी सिंहभूम और उत्तम सिंह सरदार, प्रधान (पारंपरिक भूमिज शासन प्रणाली, पोटका) उपस्थित थे।
उद्घाटन की इस शाम को लोगों के लिए विशेष भारतीय और विदेशी सांस्कृतिक प्रस्तुतिकरण हुआ। इस अवसर पर, संवाद के संगीत सहयोगी, रिदम ऑफ़ द अर्थ (आरओटीई) द्वारा संगीतबद्ध दो गीत जारी किए गए।
पहला गीत ’बिरसा केर रायज’ भगवान बिरसा मुंडा को समर्पित एक श्रद्धांजलि है, जिसे प्रख्यात लोक गायक पद्म श्री मुकुंद नायक का सहयोग से तैयार किया गया है। आज ही झारखंड की स्थापना की 20वीं वर्षगांठ है, सो इस उपलक्ष्य पर दूसरी रचना ‘अबुआ दिशुम, अबुआ रायज’ (हमारी भूमि, हमारा शासन) राज्य को समर्पित है, जो भगवान बिरसा मुंडा द्वारा दिए गए नारे से प्रेरित है। आरओटीई के लगभग 15 कलाकारों ने मिल कर इस कम्पोजिशन की रचना की।
‘संवाद’ इकोसिस्टम ने पिछले 6 वर्षों में भारत के 27 राज्यों और 18 देशों से 117 जनजातियों के 30,000 से अधिक लोगों को एक साथ लाया है, और यह एक ऐसा इवेंट है, जिसका आदिवासी समुदाय एवं जमशेदपुर के नागरिकों को बेसब्री से इंतजार रहता है।
संवाद आदिवासी समुदायों को उनका सामाजिक अस्तित्व और विकास संचालित करने वाले मुद्दों पर चर्चाओं को आरंभ करने में अगुआई करने के लिए प्रोत्साहित करता है।