शान के साथ संतों ने किया शाही स्नान, सभी 13 अखाड़ों ने लिया भाग; अब 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर होगा अंतिम शाही स्नान

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हरिद्वार : मेष सक्रांति पर अमृत योग में सभी 13 अखाड़ों ने हरकी पैड़ी पर शाही शान के साथ गंगा स्नान किया। यह कुंभ का दूसरा शाही स्नान था। ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ सुबह नौ बजे शुरू हुए स्नान का क्रम शाम 6.10 बजे तक चला। शाही स्नान शुरू होने से पूर्व सुबह सात बजे तक हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पर आम श्रद्धालुओं को भी डुबकी लगाने का सौभाग्य मिला। शाही स्नान के दौरान श्रद्धालु अन्य घाटों पर स्नान करते रहे।

इस बार स्नान पर वैसी सख्ती नहीं दिखी, जैसे पहले शाही स्नान के दिन देखने को मिली थी। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर का असर स्नान पर नजर आया और संतों और श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। मेला अधिष्ठान के अनुसार शाम छह बजे तक 13.58 लाख से श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा चुके थे, जबकि पहले शाही स्नान पर यह आंकड़ा 37 लाख था। अब कुंभ का अंतिम शाही स्नान 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर होगा।शास्त्रों के अनुसार मेष सक्रांति पर अमृत योग में होने वाला यह शाही स्नान कुंभ का मुख्य स्नान भी है। इसीलिए श्रद्धालु  ब्रह्मकुंड में स्नान के लिए उत्साहित थे। आधी रात के बाद से ही बड़ी संख्या में लोग हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पहुंचने लगे थे। पुलिस ने सुबह सात बजे के बाद हरकी पैड़ी क्षेत्र को खाली कराया।इस बार भी अखाड़ों के स्नान का क्रम वही रहा जो पहले शाही स्नान में था। निर्धारित क्रम के अनुसार सुबह ठीक नौ बजे श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी और श्रीपंचायती आनंद अखाड़े का शाही जुलूस हरकी पैड़ी पहुंचा। श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि और आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि के साथ ही मंसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रङ्क्षवद्र पुरी के नेतृत्व में संतों ने गंगा स्नान किया।

इसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर अवेधानंद गिरि के नेतृत्व में श्रीपंदशनाम जूना अखाड़ा के संतों ने स्नान किया।  जूना अखाड़ा के छत्र तले आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णानंद सरस्वती के साथ अग्नि, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र पुरी के साथ आह्वान अखाड़े के संतों ने भी पुण्य की डुबकी लगाई। जूना अखाड़े के छत्र तले ही किन्नर अखाड़े के संतों ने भी स्नान किया। अगले क्रम में महानिर्वाणी अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद गिरि,  अटल अखाड़े ने अपने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद महाराज की अगुआई में गंगा में डुबकी लगाई। अब तीनों बैरागी अणियों का क्रम था। इसमें निर्वाणी अणि के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास, निर्मोही अणि के श्रीमहंत धर्मदास और दिगंबर अणि के श्रीमहंत कृष्णदास की अगुआई में संतों ने 1200 खालसों के साथ ब्रह्मकुंड में स्नान किया। श्रीपंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन और श्रीपंचयाती नया अखाड़ा उदासीन ने अपने-अपने क्रम में श्रीमहंत महेश्वरदास और मुखिया महंत भगतराम के साथ शाही स्नान किया। आखिर में निर्मल अखाड़े ने श्रीमहंत ज्ञानदेव ङ्क्षसह वेदांताचार्य की अगुआई में शाही स्नान किया। पुलिस महानिरीक्षक (मेला) संजय गुंज्याल ने बताया कि  शाही स्नान के दौरान अखाड़ों के लिए आधा-आधा घंटे का समय निर्धारित था। पहले स्नान की भांति इस बार भी सरकार की ओर से शाही जुलूसों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। चार सौ से ज्यादा साधु-संन्यासी नहीं कर पाए स्नान

अखाड़ों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते चार सौ से अधिक साधु-संत शाही स्नान में भाग नहीं ले पाए। अखाड़ों में संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री प्रेमगिरि सहित  37 से अधिक साधु-संत संक्रमित हो चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 17 साधु-संन्यासी श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के हैं। वहीं श्रीपंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में संक्रमित साधु-संन्यासियों की संख्या नौ है।

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