सात समंदर पार से बिहार की बेटी ने नीतीश से लगाई इंसाफ की गुहार, कहा- मातृभूमि का ‘कर्ज’ उतारने से रोक रहे गुंडे

2

बिहार में अगर आप कुछ ‘अच्छा’ करना चाहें तो ग्राउंड पर काफी मुश्किल है। लोकल गुंडे आपके राह में कांटे बिछा देंगे। फिर एक बार ऐसा भी सोचेंगे कि बेकार के लफड़े में पड़ने से बेहतर है, अपनी बसी-बसाई जिंदगी गुजार लेना। मगर सभी ऐसे नहीं होते। कुछ लोगों को जूझने की आदत होती है। आखिरी दम तक लड़ते हैं। मधुबनी के पंडौल में अरविंद झा आजकल कुछ ‘अच्छा’ करने की नीयत से जूझ रहे हैं।

स्वीडन :

स्वीडन से सोशल मीडिया पोस्ट में अरविंद झा की बेटी स्वाति पराशर ने लिखा कि ‘मेरा परिवार बिहार में मधुबनी जिले के पंडौल से आता है। यह मेरा जन्म स्थान भी है। काम की तलाश में बड़े शहरों में जाने वाले गरीब प्रवासियों के लिए बिहार जाना जाता है। अभी भी सभी विकास सूचकांकों पर बहुत कम आंकड़ें दर्ज कर पाता है। औपनिवेशिक काल के दौरान बिहार कैरेबियन, फिजी और दूसरे देशों के लिए गिरमिटिया मजदूर सप्लाई का स्रोत था। इस लिहाज से मैं भी एक प्रवासी हूं। अपने साथ वह पहचान रखती हूं, जहां भी जाती हूं। मेरा परिवार अपनी मिट्टी से गहराई से जुड़ा हुआ है और हम कुछ स्थानीय भागीदारी से विकास कार्य करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।’स्वाति ने अपने पोस्ट में आगे लिखा है कि ‘हाल के दिनों में मेरा भाई भी गांव शिफ्ट हुआ है। दरभंगा में उसने मखाना की खेती का प्रशिक्षण भी लिया है। अपनी जमीन पर मखाना प्रॉसेसिंग यूनिट लगाने की कोशिशें कर रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर 100 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। एक बड़े तालाब में मखाना के पौधे लगाए गए थे। स्थानीय उपज की जैविक खेती के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाई गई थीं। जिसमें हम सभी शामिल हुए थे। यह बिहार को अपने स्थानीय लोगों की जरूरत है। न कि इनकी जरूरत बर्बरता, अपराध, भूमि माफिया और झंडे वाले गुंडे हैं।’

नीतीश कुमार से मदद की गुहार

स्वाति अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि ‘मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील करती हूं कि वे आतंक और गुंडाराज के खात्मा करने के लिए दखल दें। इस बर्बरता और अराजकता को समाप्त करें। उस क्षेत्र में होने वाले अच्छे काम को सुगम और सुविधाजनक बनाएं। इससे अधिक बिहारियों को अपने घरों में लौटने और क्षेत्र के विकास में भाग लेने में मदद मिलेगी। विकल्प यह नहीं है कि हमें ‘भोला’ कहा जाए। हमें भागने और हमारे जीवन को बचाने की सलाह दी जाए। ठगी, हिंसा और अराजकता की संस्कृति से लड़ना होगा, जिसने बिहार का नाम खराब कर दिया है। हमें इस क्षेत्र में कुछ वापस देना चाहिए। बिहार के सतत विकास में हम सबकी हिस्सेदारी होनी चाहिए।’

स्वाति पराशर की परवरिश रांची में हुई है क्योंकि उनके पिता अरविंद झा रांची में पोस्टेड थे। उनका जन्म मधुबनी में ही हुआ है। इन दिनों स्वाति पराशर स्वीडन के गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। स्कूल ऑफ ग्लोबल स्टडीज में शांति और विकास विषय पढ़ाती हैं। इसके पहले वो आस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थीं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की विजिटिंग फैकल्टी भी हैं। इससे पहले सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) दिल्ली की विजिटिंग फेलो रह चुकी हैं। इसके अलावा कई विषयों पर स्टोरी लिखती हैं, खासकर महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर।(साभार नभाटा)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

समाजिक सेवा संघ के कार्यालय राहरगोड़ा में संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 130 वी जयंती पुष्प अर्पित कर मनाई गई

Wed Apr 14 , 2021
जमशेदपुर: समाजिक सेवा संघ के कार्यालय राहरगोड़ा में संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 130 वी जयंती पुष्प अर्पित कर मनाई गई और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया। आज बाबा साहब की देन है कि लोग समाज में उठ बैठ रहे हैं जाति की […]

You May Like

फ़िल्मी खबर