जमशेदपुर: इस कोरोना काल मे जंहा एक तरफ लोग घर से नहीं निकल रहे वही इस कोविड काल में वे पूरी शिद्दत के साथ अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। सुबह-शाम कोविड मरीजों की देखरेख से लेकर उनके परिजनों को समझाने का काम भी यहीं करते हैं। उनकी व्यवहार कुशलता की वजह से हर कोई आज उन्हीं को खोजता है, मदद की गुहार लगता है। वे हरसंभव मदद भी करते हैं। इन्हें अहले सुबह से लेकर देर रात तक ड्यूटी बजानी पड़ती है। 24 घंटे फोन रिसीव करना है तो मरीजों की फरियाद सुनने से लेकर नेताओं व अधिकारियों का भी पूरा ख्याल इन्हीं को रखना है।
देखरेख में चल रहा दो सौ कोरोना मरीजों का इलाज : सही कहा गया है कि धरती पर डॉक्टर ही भगवान का दूसरा रूप है। वाकई इस महामारी की मुश्किल घड़ी में चिकित्सक किसी भगवान से कम नहीं हैं जो मरीजों के बीच रहकर खुद की परवाह किए बगैर सेवा दे रहे हैं। इनका जज्बा वाकई सलाम के काबिल है। ये थके बगैर चौबीस घंटे अपनी ड्यूटी पर डटे हैं एवं कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने में जुटे हैं। ऐसे ही व्यक्तित्व हैं डा. एसएल श्रीवास्तव। जिनकी देखरेख में करीब 200 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है।
टाटा मोटर्स अस्पताल प्रबंधन की ओर से टेल्को प्लाजा पीकेएस, डीलर्स हॉस्टल व स्वयं अस्पताल परिसर में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। इन सभी जगह डा.एसएल श्रीवास्तव की निगरानी रहती है। कहां, क्या जरूरत है, किसको क्या परेशानी है इनसभी बातों का ख्याल इन्हीं को रखना है। खाने-पीने व सोने की चिंता से मुक्त कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए ये दिन रात एक किए हुए हैं।
डा. एसएल श्रीवास्तव रात में कब घर लौटेंंगे यह तय नहीं है। घर पर इनके बेटे को पापा का आने का इंतजार रहता है। पूरा परिवार देर रात तक इनकी घर वापसी का बेसब्री से इंतजार करते हैंं। अस्पताल में कोरोना मरीजों के बीच सेवा देने के क्रम में कई स्वास्थ्यकर्मी व चिकित्सक पाजिटिव भी हो रहे हैं। इन सब के बीच बेहतरीन ढंग से इलाज करना एक चुनौती से कम नहीं है।