साहित्य जगत ने अपना अभिभावक खो दिया : प्रदीप सिंह भोजपुरिया
जमशेदपुर: जमशेदपुर के जाने माने कथाकार, साहित्यकार जय बहादुर सिंह का निधन आज 2 जनवरी को उनके निवास बिरसानगर, जमशेदपुर में हो गया।उन्होंने दोपहर 1:50 में अंतिम साँस लीं ये 82 वर्ष के थे।इनका जन्म ग्राम- सोवां,जिला- बक्सर(बिहार) में हुआ था। जमशेदपुर साहित्य के क्षेत्र में इनको हमेशा याद किया जायेगा।
टाटा मोटर्स,जमशेदपुर से
प्रबंधक पद से सेवानिवृत जय बहादुर सिंह का लेखन विधा भोजपुरी-हिन्दीमे कविता,
कहानी और लघुकथा था। इनको सम्मान भोजपुरी कथा लेखक के रूप में ही मिला था।
कम से कम शब्द में अपनी बात कहने में माहिर जय बहादुर सिंह का लघुकथा भोजपुरी की एक बड़ी कमी को पूरा करता था।अपने संगठन क्षमता और बेजोड़ लेखन से इन्होंने भोजपुरी साहित्य को समृद्ध किया।
2004 से ये भोजपुरी संस्था जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद के अध्यक्ष रहे।
इनकी रचना संग्रह “सपना के साँच”(भोजपुरी लघुकथा संग्रह) और “ब्रह्मचारी के बेटा”(भोजपुरी कहानी संग्रह) बहुत चर्चित रही है।
भोजपुरी लघुकथा संग्रह “अगुआ” जो कि 2001 में प्रकाशित हुई थी,जिसमे पन्द्रह कथाकारों की लघुकथा प्रकाशित है।
उस लघुकथा संग्रह में भी जयबहादुर सिंह जी की छह लघुकथा संकलित है।
साहित्यकार जय बहादुर सिंह जी की विविध पुस्तको,पत्रिकाओं में छिटपुट बराबर रचना प्रकाशित होती रही है।
जय बहादुर सिंह जी अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन सहित अनेक सामाजिक,सांस्कृतिक संस्थाओं के आजीवन सदस्य थे।
कितने कविता के मंच से इन्होंने कविता का पाठ भी किया था। भोजपुरी काव्य संकलन “सुपुली भर तरेगन” में पन्द्रह रचनाकारों के काव्य संकलन में इनकी भी पाँच कविता संकलित है,जो अपने आप मे दमदार है।
इनके साथ एक बड़ी उपलब्धि भी जुड़ी थी, साल 2011 में अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का 24वां अधिवेशन जमशेदपुर में हुआ था जिसके संयोजक जय बहादुर सिंह जी थे इनके देखरेख में 24वां अधिवेशन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ था।
जय बहादुर सिंह जी दो तीन सालों से अस्वस्थ चल रहे थे और साहित्यिक गतिविधि भी बंद हो गई थी। इनके निधन से जमशेदपुर का साहित्यिक जगत मर्माहत है। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गये है। इनकी अंतिम यात्रा कल 03 जनवरी,2021,रविवार को 12:00 बजे इनके निवास बिरसानगर से स्वर्णरेखा बर्निंग घाट के लिये निकलेगी। इनके निधन पर सम्पूर्ण भोजपुरी विकास मंच के महामंत्री प्रदीप सिंह भोजपुरिया ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि साहित्य जगत ने एक अभिभावक खो दिया है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं हैं।