जमशेदपुर : आदिबासि कुड़मि समाज (झारखण्ड) का एक प्रतिनिधिमंडल जमशेदपुर के माननीय सांसद बिद्युत वरण महतो के अगुवाई में भारत सरकार के माननीय महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त महोदय से भारत सरकार के महारजिस्ट्रार का कार्यालय, नई दिल्ली में जाकर मुलाकात किये। उन्होंने उन्हें भारत की जनगणना के भाषा सूची में कुड़मालि भाषा कोड लागू करने हेतु आवेदन सौंपा। आवेदन के साथ सम्पूर्ण तथ्यों के साथ ज्ञापन, सभी संबंधित कागजात और लगभग साल भर से अबतक के सभी विभागीय अग्रेषित पत्र की प्रतियां अनुलग्न किया गया। माननीय महारजिस्ट्रार महोदय ने इस बाबत यथोचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
आकुस झारखण्ड के अध्यक्ष प्रसेनजीत महतो ने बताया कि प्रति १० वर्ष में एक बार होने वाले भारत की जनगणना में कुड़मालि भाषा का कोड शामिल नहीं किया गया है। पूर्व में १९५१ तक जहां कुरमाली के नाम से कोड था, वहीं १९६१ से अकस्मात उसे बदलकर कुरमाली ठार कर दिया गया। २०११ में कुरमाली और करमाली के दिग्भ्रम से झारखण्ड में कुड़मालि की संख्या करमाली में समाहित कर दिया गया। इस तरह से विभिन्न षड्यंत्रों और वर्तनी त्रुटि से विगत कई वर्षों से समस्या चली आ रही है। विभिन्न विद्वानों के अनुसार कुड़मालि भाषा कुड़मि (KUDMI) जनजाति की जनजातीय भाषा है। जनजातीय भाषा के तौर पर स्वतंत्र कोड ना देना कुड़मालि भाषा भाषी दो करोड़ से भी अधिक लोगों के साथ एक अन्याय है। वहीं एक आदि विशिष्ट भाषा संस्कृति के विलुप्त होने का पूर्ण अंदेशा है। कोड नहीं मिलने से समाज आंदोलन को बाध्य होगा।
प्रतिनिधिमंडल में आदिबासि कुड़मि समाज (झारखण्ड) के अध्यक्ष श्री प्रसेनजीत महतो, सरायकेला-खरसावां जिला संयोजक मनोज महतो, आकुस दिल्ली कमिटी के अध्यक्ष कामेश्वर महतो एवं सदस्य दीपक महतो शामिल रहे।
दिबासि कुड़मि समाज का एक प्रतिनिधिमंडल सांसद बिद्युत वरण महतो के अगुवाई में महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त से मुलाकात किये
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