‘‘भगवान शिव-हमारी सांस्कृतिक धरोहर’’- हरीन्द्रानंद

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शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन के तत्त्वावधान में ‘‘भगवान शिव-हमारी सांस्कृतिक धरोहर’’ विषयक दो दिवसीय कार्यशाला ‘‘बापू सभागार’’ गाँधी मैदान, पटना में आयोजित की गई। कालखंड के प्रथम शिव शिष्य और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहब श्री हरीन्द्रानंद जी ने कहा भगवान शिव हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। भारत की मिट्टी में, हमारे संस्कारों में शिव समाहित हैं।

सर्वाधिक रूप से पूजित हैं महादेव। देश के कोने कोने में इनकी महता से ही समझा जा सकता है कि इनकी जड़ें कितनी भीतर तक हैं। साहब श्री हरीन्द्रानंद जी ने कहा कि भगवान शिव के बिना भारत भूमि की कल्पना ही बेमानी है। भगवान शिव भारत भूमि की मिट्टी की सुगंघ में रचे-बसे हैं तभी तो कहावत प्रचलित  है ‘‘चंदा मामा सबके मामा शिव घर-घर के बाबा’’। शिव हमारी विरासत हैं। इतिहास को देखा जाए तो हमे पता चलेगा कि महादेव एक कल्पना नहीं अपितु एक सोच है। वरेण्य गुरु भ्राता ने कहा कि यही शिव गुरु का काम भी करते हैं। आज से नही बल्कि सदियों से। जब से यह सृष्टि बनी है तभी से ही।

इस कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ। कार्यशाला में आये हुए लोगों का स्वागत कुँवर ब्रजेश सिंह ने किया। प्रो॰ रामेश्वर मंडल ने भगवान शिव-हमारी सांस्कृतिक धरोहर पर आख्यान प्रस्तुत किये। न्यास की अध्यक्षा बरखा सिन्हा द्वारा गुरू, सदगुरू एवं जगतगुरू पद की सास्त्रीय व्याख्या की। फाउंडेशन के मुख्य सलाहकार अर्चित आनन्द ने ज्योर्तिलिंग और शिवलिंग की व्याख्या करते हुए कहा प्राचीन भारत के द्वादश ज्योर्तिंलिंग की कल्पना इस देश की समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नयन के प्रयोजन से की गयी है।

कार्यशाला में उपस्थित पाँच हजार लोगों के बीच मिडिया प्रभारी अनुनीता, डॉ॰ अमित कुमार एवं अन्य लोगों ने अपने विचार प्रकट किये।

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