23 सितंबर 2021 (वृहस्पतिवार) को डॉ श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान बिस्टुपुर , जमशेदपुर (झारखंड) में विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गयीइस शुभ अवसर पर भारतीय जन महासभा के संरक्षक श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल , राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार एवं डॉ पवन कुमार दत्ता ने विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर के चित्र पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । श्री पोद्दार ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर ने रश्मिरथी जैसे काव्य ग्रंथ की रचना की जिसमें भगवान श्री कृष्ण के साथ कुछ संवाद का भी उल्लेख किया गया है ।
कहा कि यह इतना आकर्षक काव्य ग्रंथ है कि 52 वर्ष पहले पढा था जो कुछ-कुछ आज भी कंठस्थ है ।
कर्ण ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा था —
“मां का पय भी न पिया मैंने
उलटे अभिशाप लिया मैंने
वह तो यशश्वीनि बनी रही
सबकी भौं मुझ पर तनी रही
कन्या वह रही अपरिणीता
जो कुछ बीता मुझ पर बीता”
उस संवाद के अंत में भगवान श्री कृष्ण कर्ण के सामने लगभग निरुत्तर से हो जाते हैं और तब कहते हैं —
तुझ सा न मित्र कोई अनन्य
तू कुरुपति का ही नहीं प्राण
नरता का है भूषण महान”
ऐसे काव्य संग्रह के अलावा भी उन्होंने काफी रचनाएं की ।
दिनकर जी की रचनाएं पूरे विश्व में पढ़ी जाने लगी और आज इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि उन्हें विश्व कवि के रूप में लोग जानने लगे हैं ।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ पवन कुमार दत्ता ने कहा कि विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर इस विश्व और भारतवर्ष में एक ऐसे प्रेरणास्रोत हैं जो उनकी काव्य रचनाओं व उनकी कृतियों से प्रत्येक व्यक्ति अभिभूत एवं प्रेरित होकर राष्ट्र कल्याण की बात करने और कार्य रूप देने के लिए तत्पर रहते हैं ।
आज की भावी पीढ़ी को भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए
इस अवसर पर संरक्षक राजेंद्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि दिनकर देश व समाज को समर्पित ओजपूर्ण काव्य प्रस्तुति के कारण भारत के क्षितिज पर ही नहीं विश्व के क्षितिज पर छाए हुए हैं । इसीलिए आज उन्हें विश्व कवि रामधारी सिंह दिनकर कहा जाने लगा है ।
कहा कि हम विश्वकवि रामधारी सिंह दिनकर को हृदय से नमन करते हैं और देशवासियों से अपील करते हैं कि दिनकर को पढ़ें व प्रेरणा ले और देश के लिए अपने जीवन का कुछ समय अवश्य दे ।