पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय सुर्खियों में थे। गुप्तेश्वर पांडेय सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में धमाल मचाए हुए थे। अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को औकात दिखा रहे थे। उसके बाद नौकरी से इस्तीफा देकर जेडीयू ज्वाइन कर लिया था। कयास लगाए जा रहे थे कि गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर जिले के किसी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। आज जेडीयू के 115 उम्मीदवारों की सूची के साथ ही रिया चक्रवर्ती भी जेल से बाहर आ गई है। लेकिन जेडीयू की सूची में पूर्व आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय का नाम कहीं नहीं है। ऐसे में सोशल मीडिया पर ये सवाल तैरने लगे हैं कि अब पांडेय जी का क्या होगा। जिस झाम के साथ उन्होंने नीतीश के कुमार की मौजूदगी में सदस्यता ग्रहण की थी। उससे साफ लग रह था कि गुप्तेश्वर पांडेय बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब उस पर ग्रहण लगता दिख रहा है। क्योंकि जेडीयू उम्मीदवारों की सूची सामने आने के बाद यह, तो बिलकुल साफ हो गया है कि जेडीयू ने गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं दिया है। इन्हें लेकर बिहार की राजनीति में कई तरह की चर्चाएं हैं।
बीजेपी से उम्मीदें!
राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा यह भी है कि पांडेय जी को बीजेपी का सहारा मिल सकता है। बक्सर जिले की 2 सीटें ब्रह्मपुर और बक्सर बीजेपी के खाते में गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पांडेय जी यहां से जुगत लगा रहे हैं। क्योंकि इनका गृह जिला बक्सर ही हैं। क्योंकि इन दोनों सीटों के लिए बीजेपी ने अभी उम्मीदवार तय नहीं किए हैं। अगर बात बनती है, तो पांडेय जी के लिए बस अब यहीं से एक उम्मीद की किरण है, जिसके जरिए विधानसभा पहुंच सकते हैं।
दूसरी चर्चा यह भी है कि गुप्तेश्वर पांडेय वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। यह सीट जेडीयू नेता वैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के बाद खाली हुई है। यहां 13 अक्टूबर से नामांकन शुरू होगा और 7 नवंबर को वोटिंग है। पिछले एक दशक से वाल्मीकि नगर सीट पर एनडीए का कब्जा है। लेकिन पहली दावेदारी वैद्यनाथ प्रसाद महतो के बेटों का है। उनके 3 बेटों में रामाकांत प्रसाद और मनोज कुमार बिजनेसमैन हैं। वहीं, तीसरा लड़का सुनील कुमार राजनीति में सक्रिय है।
राज्यसभा जाने की भी चर्चा
गुप्तेश्वर पांडेय राजनीति में कदम रखने के लिए पिछले 10 सालों से छटपटा रहे हैं। अगर विधानसभा और लोकसभा का विकल्प खत्म हो जाता है, तो फिर जेडीयू की तरफ उन्हें राज्यसभा भेजा सकता है। बिहार में पांडेय जी के इस विकल्प पर भी चर्चा है। लेकिन अभी तक टिकट को लेकर पांडेय जी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और न हीं उनकी पार्टी की तरफ से। ऐसे में फिलहाल तो गुप्तेश्वर पांडेय पैदल ही नजर आ रहे हैं।
पहले भी लिया था वीआरएस
अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए 2009 में भी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लिया था। उस समय बक्सर से चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी से टिकट की मांग की थी। लेकिन खेल बिगड़ गया था। 9 महीने बाद वह फिर से पुलिस की सेवा में लौट आए थे। बताया जाता है कि गुप्तेश्वर पांडेय संघ के भी करीबी हैं। उधर से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही उन्होंने अपनी दूसरी सियासी पारी शुरू की है। लेकिन पांडेय जी का क्या होगा, ये अगले सप्ताह तक साफ हो जाएगा। (साभार नभाटा)