जमशेदपुर:सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का 355 वां प्रकाश पर्व पूरी श्रद्धा के साथ जमशेदपुर के हर एक गुरुद्वारे में मनाया गया। इस अवसर पर मानगो गुरुद्वारा में ‘चमकौर की गढ़ी’ पुस्तक का वितरण किया गया। सैकड़ों सिख धर्मावलंबियों ने इस पुस्तक को प्राप्त किया। मानगो गुरुद्वारा स्कूल के छात्रों को भी पुस्तक प्रदान की गई। इस अवसर पर झारखंड सिख विकास मंच के अध्यक्ष सरदार गुरदीप सिंह पप्पू, झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह, मानगो गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के के प्रधान भगवान सिंह, महासचिव जसवंत सिंह जस्सू, जसवीर सिंह सोनी, दलजीत सिंह, सतिन्दर सिंह रोमी, सुखदेव सिंह वगैरह उपस्थित थे। पुस्तक का वितरण गुरदीप सिंह पप्पू के सौजन्य से किया गया।
इस मौके पर सरदार शैलेंद्र सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में गुरु गोविंद सिंह के युद्ध कौशल, त्याग, बलिदान और धर्म के प्रति गंभीर आस्था पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के रचयिता कविवर गंगाप्रसाद ‘कौशल’ ने पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि गुरु गोविंद सिंह जी ने हंसते हंसते अपने पुत्रों को 5-5 सिख सैनिकों के जत्थे में औरंगजेब की 10 लाख सैनिकों की विशाल सेना से जूझने भेज दिया। गुरुदेव जी ने हंसते हंसते अपने पुत्रों का बलिदान देखकर चमकौर की गढ़ी के युद्ध को इतिहास में अमर कर दिया। सरदार शैलेंद्र सिंह ने कहा कि ‘चमकौर की गढ़ी’ पुस्तक इतनी शानदार है कि इसे पाने वाले लोगों के चेहरे में चमक आ जाती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक से समाज के लोग गुरुदेव जी के सही इतिहास है परिचित हुए। गुरदीप सिंह पप्पू ने कहा कि हमारे दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज की बहादुरी की कोई तुलना नहीं। सिर्फ 40 सिखों को लेकर उन्होंने चमकौर की गढ़ी में मुगलों की विशाल सेना से युद्ध किया और बहादुरी के साथ मुगलों की करीब आधी सेना को नष्ट कर दिया। यह युद्ध सिख सैनिकों की अपने धर्म के प्रति आस्था का ज्वलंत उदाहरण है। आज इस पुस्तक के प्रकाशक कवि कुमार को मानगो गुरुद्वारा में आमंत्रित किया गया तथा उन्हें सरोपा प्रदान कर सरदार शैलेंद्र सिंह, सरदार भगवान सिंह और सरदार गुरदीप सिंह पप्पू ने सम्मानित किया। सबने गुरु गोविंद सिंह जी के संबंध में पुस्तक उत्कृष्ट प्रकाशित करने के लिए उनका आभार प्रकट किया।