नंदीग्राम
नंदीग्राम चुनाव में मतदान के दौरान एक पोलिंग बूथ पर ममता बनर्जी का रवैया कठघरे में है। इस मामले में उन्हें चुनाव आयोग से झटका लगा है। आयोग ने यहां गड़बड़ी के उनके आरोपों को खारिज कर दिया है। साथ ही ईसी ने कहा है कि उनकी शिकायत तथ्यों से परे है। आयोग ने संकेत दिए हैं कि उनके खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन और जनप्रतिनिधित्व कानून की धाराओं में कार्रवाई हो सकती है।
ममता बनर्जी और चुनाव आयोग के बीच लगातार टकराव देखा जा रहा है। बंगाल में आठ चरण के मतदान पर ममता ने सवाल उठाए। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आदेशों के तहत पक्षपात का आरोप भी लगाया है। चुनाव आयोग ने ममता के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। बंगाल में 1 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग में नंदीग्राम में तनाव दिखा था। यहां बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी को टक्कर दे रहे हैं।
नंदीग्राम में वोटिंग के दौरान एक पोलिंग बूथ पर बीजेपी और टीएमसी वर्कर्स में तनातनी हो गई थी। इस दौरान ममता पोलिंग बूथ के अंदर कथित रूप से दो घंटे तक फंस गई थीं। बाद में उन्हें सुरक्षा बलों ने बाहर सुरक्षित निकाला था। ममता ने चुनाव के दौरान आयोग पर कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर फेल रहने का आरोप लगाया था। ममता ने गवर्नर को फोन करके भी मदद मांगी थी।
‘CM पद पर बैठे शख्स ने किया गुमराह’
इस मामले में चुनाव आयोग ने कहा है, ‘यह गहरे खेद का विषय है कि मुख्यमंत्री पद पर बैठे शख्स और कैंडिडेट ने मीडिया नैरेटिव के जरिए मतदाताओं को कई घंटों तक गुमराह किया। यह सब उस वक्त हुआ जब चुनावी प्रक्रिया चल रही थी। इससे बुरा आचरण नहीं हो सकता था।’
‘क्या ऐक्शन संभव, इस पर अलग से जांच जारी’
आयोग ने कहा, ‘इस बात की अलग से जांच की जा रही है कि क्या एक अप्रैल की घटनाओं में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 131 और 123 (2) या आदर्श आचार संहिता के तहत कोई कार्रवाई हो सकती है।’
बताते चलें कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 131 के तहत पोलिंग बूथ या उसके आसपास गलत आचरण करने पर तीन महीने की जेल या जुर्माने की सजा दी जा सकती है। गुरुवार को ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग अमित शाह के निर्देशों पर काम कर रहा है। वहीं सुबह से टीएमसी की ओर से दी गई 63 शिकायतों पर विचार नहीं किया गया।