- गुरुवार शाम को राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने किया रिहा
- रिहा होने के बाद कोबरा कमांडो ने सुनाई अपनी आपबीती
- राकेश्वर ने बताया, ग्रामीणों ने उन्हें नक्सलियों को सौंपा
रायपुर
नक्सलियों के चंगुल से सुरक्षित लौटे कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास ने अपनी बताई है। गुरुवार शाम नक्सलियों द्वारा रिहा किए जाने के बाद सीआरपीएफ कैंप लाए गए राकेश्वर स्वस्थ हैं और उन्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा है। कैंप में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कमांडो ने बताया कि नक्सलियों ने उनके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया। उनके खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखा।
राकेश्वर ने कहा है कि 3 अप्रैल को मुठभेड़ के बाद वे बेहोश हो गए थे। घटना के अगले दिन यानी रविवार को वे जंगल के रास्ते निकल रहे थे। इसी दौरान ग्रामीणों की उन पर नजर पड़ गई। ग्रामीणों ने ही उन्हें पकड़ कर नक्सलियों को सौंपा। राकेश्वर कोबरा (Commando Batallion for Resolute Action) की 210वीं बटालियन में हैं। नक्सलियों ने 3 अप्रैल को बीजापुर जिले के तर्रेम क्षेत्र में सर्चिंग पर निकले सुरक्षाकर्मियों की टीम को घेर कर हमला कर दिया था। इसमें 23 जवानों की मौत हो गई थी। मुठभेड़ के बाद से वे नक्सलियों के ही कब्जे में थे। राकेश्वर को सरकार द्वारा बनाई गई मध्यस्थों की एक टीम से बातचीत के बाद छोड़ा गया। इस टीम में स्थानीय आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल थे। उनकी रिहाई से छत्तीसगढ़ से लेकर जम्मू तक खुशी का माहौल है। राकेश्वर सिंह जम्मू के रहने वाले हैं और उनका परिवार वहीं रहता है। रिहाई के बाद उनके परिवार में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। पत्नी मीनू ने पति की सुरक्षित रिहाई पर खुशी जताते हुए इसे अपनी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन बताया है। (साभार नभाटा)