जमशेदपुर :“संतुलित जीवन के लिए पुरातन और नूतन में सामंजस्य जरूरी” उक्त बातें चतुर्थ पतंजलि बाल संस्कार शिविर को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मोटिवेशनल गुरु चंदेश्वर खां ने कहीं। शिविर के नौवें दिन “पुरातन एवं नूतन में सामंजस्य” विषय पर उद्बोधन देते हुए उन्होंने बताया कि पुरातन संस्कृति की कई बातें विज्ञान सम्मत थी जिसे अपनाया जाना चाहिए। आधुनिक युग विज्ञान का युग है और इस युग में उन्हीं बातों को तरजीह दी जाती है जो विज्ञान सम्मत है। अतः पुरातन संस्कृति को विज्ञान की कसौटी में कसकर नूतन संस्कृति से सामंजस्य बैठाया जाना जरूरी है। हम नूतन और पुरातन के सम्मिश्रण से ही विकास के नए आयाम गढ़ सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति, समाज एवम् देश का निर्माण कर सकते हैं। पतंजलि बाल संस्कार शिविर के आयोजकों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि शिविर से नए संस्कारवान भारत का निर्माण हो रहा है।
शिविर के नौवें दिन औषधीय पौधों से परिचय करते हुए योगाचार्य नरेन्द्र कुमार ने गेंदा और सदाबहार के बारे में बताया। गेंदा के पत्तों का रस घाव में लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। सदाबहार की पत्तियां एवं फूलों का सेवन डायबिटीज के उपचार में काफी उपयोगी है। शिविर में आज योगासन प्रतियोगिता की भी घोषणा की गई जिसमें पादहस्तासन, चक्रासन, त्रिकोणासन, धनुरासन तथा एक स्वैच्छिक आसन का प्रदर्शन करना है। शिविर का समापन 6 जून को होगी जबकि 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन 40 कुंडीय यज्ञ – हवन का आयोजन किया जाएगा। शिविर में आज बच्चों ने शंख बजाने का अभ्यास किया । शंख बजाना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। शंख की ध्वनि से वातावरण पवित्र होता है।