हिंसा को देखते हुए राज्य के सभी 293 विधानसभा केंद्रों के भाजपा उम्मीदवारों को अब 31 मई तक मिलती रहेंगी केंद्रीय सुरक्षा
कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का 2021 में पश्चिम बंगाल फतह का सपना टूट चुका है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो 213 सीटों की प्रचंड जीत के साथ जीत की हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार सरकार बना चुकी हैं। नंदीग्राम विधानसभा से खुद चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री का शपथ लेकर कार्यभार संभालते हुए काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन चुनाव के दौरान शुरू हुई राजनीतिक हिंसा नई सरकार गठन के बाद भी बदस्तूर जारी है। अब तक कथित रूप से भाजपा के एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं-समर्थकों की हत्याएं हो चुकी है। भाजपा की महिला समर्थकों से सामूहिक दुष्कर्म, सैकड़ों घरों और पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़, लूटपाट और आजगनी की घटनाएं हो रही हैं। यही नहीं बंगाल आने वाले भाजपा के केंद्रीय नेताओं पर भी हमले जारी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा निर्णय लेते हुए बंगाल भाजपा के सभी 77 विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा में रखने का निर्णय लिया है। उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआइएसएफ और सीआरपीएफ को सौंपी गई है। सर्व सम्मति ने भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए शुभेंदु अधिकारी की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। इतना ही नहीं, बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवारों को दी गई केंद्रीय सुरक्षा की अवधी भी बढ़ा दी गई है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के टिकट पर 293 सीटों पर उम्मीदवारी करने वाले अधिकांश नेता हार चुके हैं और उन्हें मिलने वाली केंद्रीय सुरक्षा 10 मई तक वापस ले लेनी थी। लेकिन बंगाल में भाजपा नेताओं पर लगातार हो रहे हमले को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उम्मीदवारों को मिल रही केंद्रीय सुरक्षा की अवधि बढ़ा कर 31 मई कर दी है।