गुड़ाबांदा : डर ऐसा की आप सोच नही सकते आपको बता दे कि गुड़ाबांडा में हाथी के डर से पूरा ग्रामीण में भयभीत है किसी तरह जान बचाने में लगे है हाथ में जूता ,नंगे पांव ,नदी नाला को पार करते हुए गांव पहुंची महिला कोई और नही बल्की गुड़ाबांदा प्रखंड की बीडीओ सीमा कुमारी है. खबर मिली की पहाडियों के बीच बसा पावड़ाडीह गांव में हाथियों का आतंक है. गांव में हाथियों ने 6 घरों को तोड़ दिया है. लोग डर और भय से स्कूल भवन के छत पर शरण ले रखी है.बिहड़ और पहाडी इलाका होने के कारण गांव तक पहुंचने के लिये कोई सड़क नही है . नदी नाले को पार कर इस गांव तक पहुंचा जा सकता है. पैदल करीबन चार किलो मीटर दूरी तय कर इस गांव में कोई अधिकारी या जन प्रतिनिधि पहुंच सकते है.पहली बार इस गांव में किसी बीडीओ ने अपना पैर रखा है.गांव में बीडीओ के आने से ग्रामीणों में हर्ष है.ग्रामीणों ने खुशी प्रकट करते हुए गांव में पहुंची बीडीओ का स्वागत किया.नक्सल मुक्त एरिया गुडाबंधा का सबसे बिहड़ और पहाडी गांव पावड़ाडीह में हाथियों के आंतक की खबर पर गुडाबांधा प्रखंड प्रशासन की टीम गांव पहंची और ग्रामीणों का हाल जाना. इस गांव में बीते दिनों हाथियों ने 6 घरों को तोड़ दिया था , जिससे ग्रामीण डरे और सहमें हुए है,ग्रामीण हाथी के डर से बिगत एक सप्ताह से स्कूल भवन के छत पर रात गुजार रहे है.हाथियों द्वारा तोड़े गये घरों के पीडित परिवार हाथियों के आने की भय से स्कूल के छत पर रात बिताते है.सूचना पाकर गुडाबांधा प्रखंड की टीम ने बीडीओ सीमा कुमारी के साथ नदी – नाला को नंगे पाव पार करते हुए गांव पहुंच कर ग्रामीणों की समस्याओं से रू ब रू हुई. बीडीओ सीमा कुमारी ने टूटे हुए घरों को देखा और पीडित परिवारों को यह भरोसा दिलाया कि जल्द ही उनके लिये अम्बेडकर आवास की सुविधा दी जायेगी. इसके लिये वे जिला उपायुक्त को जानकारी देंगे और पक्का मकान बनाने के लिये पहल करेंगे. उन्होंन ग्रामीणों से अपील कि है कि मक्का मकान अम्बेदकर आवास एक ही जगह सभी पीडित परिवार बनाये ताकि पानी, बिजली और सड़क जैसी सुविधा मुहैय्या करायी जा सके. पावड़ाडीह गांव में कुल 15 घर है लेकिन सभी एक दूसरे से दूरी पर पहाड़ों पर बने है. अगर कोई घटना – दुर्घटना हो जाये तो कोई भी ग्रामीण एक दूसरे की मदद नही कर सकते है.ऐसे में बीडीओ ने एक साथ एक जगह पर आवास निर्माण की बात कही है. बीडीओ सीमा कुमारी ने स्कूल के छत पर सीड़ी से चढ़ कर भी देखा कि किस तरह से ग्रामीण रात के समय स्कूल छत पर रहते है ।