जमशेदपुर: भारतीय नौसेना के इतिहास का सबसे गरिमामय दिन है 4 दिसंबर। नौसैनिको के अद्भुत दक्षता समन्वय और शौर्य का प्रतीक है यह दिवस।
आज पूर्व सैनिक सेवा परिषद के बैनर पर जमशेदपुर के टेल्को स्थित एक हॉल में सँगठन की तरफ से नौसेना दिवस मनाया गया। कार्यक्रमका शुभारम्भ सांगठन के वरिष्ठ सदस्य सुखविंदर सिंह के द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पन के साथ हुआ। इसके बाद नौसेना दिवस पर अपने विषय प्रवेश पर बोलते हुए पूर्व नौसैनिक सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि 1971 के युद्ध के विजय की नींव नेवी की अचूक रणनीति और अपूर्व पराक्रम ने रखी थी। तत्कालीन स्ट्राइक कमांडर और पहली बार प्रयोग किये गए मिसाइल जो कि जहाजों पर लैश किये गए थे उस रणनीति की वजह से पाकिस्तानी जहाजों को हिंदुस्तान नेवी ने समुद्र की गर्त में डूबा दिया। इसके अलावे पूर्व नौसैनिक बिमल कुमार ओझा , राजेश कुमार पाण्डे, नवेंदु गांगुली, शशिभूषण सिंह ने भी अपने अनुभव एवं विचार साझा किए। पेटी अफसर योगेश कुमार ने युद्ध के दौरान आईएनएस वीर निपट और निर्घट के साथ राजपूत और अक्षय जैसे जहाजों और उनकी तकनीकी विशेषताओं का भी जिक्र किया।मुख्य अतिथि क्रिड़ा भारती के ओरांत मंत्री राजीव जी ने कहा कि है सब को यह सौर्यमय दिन सदैव याद रखना चाहिए और तरुणों के बीच प्रचार प्रसार करना चाहिए जिससे उन्हें प्रेरणा मिल सके।इनके बाद 1971 के युद्ध में आईएनएस खुकरी के 176 नौसैनिकों की शहादत पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। खुकरी के कमान अधिकारी कैप्टेन महेंद्र नाथ मुल्ला के त्याग समर्पण और नौसैनिक मूल्यों को भी याद किया गया। इस अवसर पर सभी पूर्व सैनिक एवं मातृशक्ति की सहभागिता रही।उस कार्यक्रम में सिद्धनाथ सिंह, अनिल सिन्हा, वरुण कुमार , हरि सैंडिल, जितेंद्र सूंघ, विनय कुमार, एस शंकर सहित करीब 50 पूर्व सैनिक एवं उनके परिवार उपस्थित रहे।
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