झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती 19 नवंबर (शुक्रवार) को भारतीय जन महासभा के लोगों ने देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम के साथ मनायी

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जमशेदपुर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती 19 नवंबर (शुक्रवार) को भारतीय जन महासभा के लोगों ने देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम के साथ मनायी ।जमशेदपुर में भी भारतीय जन महासभा के अनेक लोगों ने स्थानीय डॉ श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान के प्रांगण में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया ।

संस्था के संरक्षक श्री हरि बल्लभ सिंह आरसी ने झांसी की रानी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।

तत्पश्चात उपस्थित लोगों ने झांसी की रानी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें स्मरण किया ।

इस शुभ अवसर पर श्री पोद्दार ने कहा कि झांसी की रानी के बचपन का नाम मनु था । मनु का विवाह गंगाधर राव से हो गया । अब मनु झांसी की रानी हो गई थी । मनु ने अति शीघ्र ही अपनी कार्यकुशलता , निष्ठा व पति भक्ति से राज्य की जनता के हृदय को जीत लिया था ।

राजा गंगाधर ने मनु की दक्षता , सद्गुणों व पति परायणता पर मोहित होकर मनु का नाम ही बदल दिया ।

राजा गंगाधर ने कहा – साक्षात लक्ष्मी और साहस की दुर्गा ही मेरे घर में आई है । यह लक्ष्मीबाई है । इसका नाम अब महारानी लक्ष्मीबाई है ।
यह नाम उनको ससुराल का दिया हुआ है । यही नाम विख्यात हो गया ।

कालांतर में गंगाधर राव की मृत्यु होने पर शासन की बागडोर कम उम्र में भी लक्ष्मीबाई ने संभाली ।

अपने दत्तक पुत्र दामोदर को झांसी का वारिस मानने से अंग्रेजो द्वारा इंकार करने पर वह काफी क्रोधित हो गई । ऐसे भी उनके हृदय में संपूर्ण भारतवर्ष को स्वतंत्र कराने की ज्वाला धधक रही थी ।

झांसी की रानी ने अंग्रेजों को भारत से समूल उखाड़ फेंकने के लिए महासंग्राम प्रारम्भ किया ।

अंग्रेजों की राज्य लिप्सा नीति से उत्तरी भारत के नवाब और राजे महाराजे असंतुष्ट थे ।

इनमें बेगम हजरत महल , बेगम जीनत महल , मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर , अजीमुल्ला , शाहगढ़ के राजा , वानपुर के राजा मर्दन सिंह और तात्या टोपे आदि के नाम प्रमुख रूप से सम्मिलित है ।

प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 का शुभारंभ होने पर इन सभी ने झांसी की रानी का साथ दिया ।

मुख्य अतिथि संस्था के संरक्षक श्री हरि बल्लभ सिंह आरसी ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी । दोनों हाथों में तलवारें , पीठ पर दामोदर व दांतो से घोड़े की लगाम को पकड़ कर इस महान वीरांगना ने बतला दिया कि भारत की नारियां कमजोर नही है ।

कहा कि संस्कृति की रक्षा का युद्ध इसी वीरांगना ने प्रारंभ किया जिसके 90 वर्षों पश्चात इस देश को स्वतंत्रता मिली ।

कहा कि भारतवासियों में इस महान नारी से प्रेरणा ग्रहण कर अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना जागनी चाहिए ।

डॉ श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान के प्रांगण में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के चित्र पर पुष्पांजलि करने वालों में श्री पोद्दार के अलावे संरक्षक श्री हरि बल्लभ सिंह आरसी , सुरेंद्र यादव एडवोकेट , प्रकाश मेहता , बसंत कुमार सिंह , विजय शंकर खरे , नव्य पोद्दार (लिटिल), श्री कृष्णा पब्लिक स्कूल की प्राचार्या श्रीमती पूनम सिंह, उप-प्राचार्या श्रीमती संगीता सिंह , रंजीत शर्मा,अशोक शर्मा, उत्तम प्रमाणिक, रविन्द्र मुखी,रविरंजन, जितेंद्र,मुरारी आदि उपस्थित थे।

इसके अलावे मेरठ से श्रीमती लक्ष्मी गोसाई , कदमा जमशेदपुर से संतोष मिश्रा , जोरहाट असम से जयश्री शर्मा ज्योति , बक्सर बिहार से विजय सिंह ,अभिषेक सिंह एवं मिथिलेश सिंह , भागलपुर बिहार से श्रीमती लक्ष्मी सिंह , नागपुर महाराष्ट्र से श्रीमती अनुसूया अग्रवाल एवं विनीता अग्रवाल , जमशेदपुर से सुजीत कुमार , सिंगापुर से श्रीमती बिदेह नंदनी चौधरी , वाराणसी से डॉ रंजना श्रीवास्तव , शाहदरा नई दिल्ली से श्रीमती अर्चना वर्मा , प्रयागराज से आशुतोष गोयल , बक्सर बिहार से अजय सिंह , गोड्डा झारखंड से दिवाकर मंडल , कृष्णा कुमार साहा , विष्णुनंद कुमार , जोरहाट असम से श्रीमती रूनू बरूवा , शेगाव महाराष्ट्र से नीलेश मुरारका आदि ने भी अपने-अपने स्थान पर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जयंती बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई । इन लोगों ने झांसी की रानी के चित्र पर पुष्पांजलि करते हुए की अपनी फोटो भी भेजी है ।

अन्य अनेक लोगों ने अपने अपने स्थान पर झांसी की रानी को स्मरण करते हुए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की है जिनमें मुख्य रुप से नई दिल्ली से दीप शेखर सिंहल , गोंडा उत्तर प्रदेश से सत्येंद्र पांडेय शिल्प , कौशांबी उत्तर प्रदेश से श्रीमती श्वेता भार्गव , नई दिल्ली से श्री गंगादीन शर्मा , जोरहाट असम से श्रीमती रूनू बरुवा , जमशेदपुर झारखंड से कैलाश नाथ गाजीपुरी , आदित्यपुर जिला सरायकेला-खरसावां झारखंड से अशोक पाठक स्नेहीं , कलयावर असम से श्रीमती कल्पना देवी आत्रेय आदि के नाम सम्मिलित है ।

इसके अलावा सिंगापुर से श्रीमती बिदेह नंदनी चौधरी ने भी झांसी की रानी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की ।

श्री पोद्दार ने बताया कि भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में 22 से अधिक स्थानों पर 55 से अधिक लोगों ने झांसी की रानी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की ।

इस प्रकार भारत के लोगो ने यह बता दिया है कि झांसी की रानी आज भी जन-जन के हृदय में बसी है ।

यह जानकारी भारतीय जन महासभा के द्वारा जारी की गई एक विज्ञप्ति में दी गयी है ।

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