पटना :- बिहार के सीमांचल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही भारी बारिश के कारण राज्य के 12 जिलों में हालात और बुरे हो गए हैं। नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से बाढ़ पीड़ितों को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिहार में बाढ़ से अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 81,57,700 आबादी प्रभावित हुई है।
नेपाल से बिहार में प्रवेश करने वाली नदियां एक बार फिर उफान पर हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने गुरुवार को बताया कि बिहार के 12 जिलों- शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। इन जिलों में ही सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है
बाढ़ से मरने वाले 123 लोगों में सीतामढ़ी के 37, मधुबनी के 30, अररिया के 12, शिवहर और दरभंगा के 10-10, पूर्णिया के नौ, किशनगंज के पांच, मुजफ्फरपुर के चार, सुपौल के तीन, पूर्वी चंपारण के दो और सहरसा का एक व्यक्ति शामिल है।
बिहार के बाढ़ प्रभावित इन जिलों में 22,400 लोग अभी राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। इनके भोजन की व्यवस्था के लिए 835 सामुदायिक रसोइयां चलाई जा रही हैं। इस बीच, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी जिलों में बाढ़ से घिरे लोगों के लिए हेलीकॉप्टर से खाने के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं।
वहीं बाढ़ के हालात को लेकर पशु-मत्स्य संसाधन मंत्री प्रेम कुमार का दावा है कि बाढ़ प्रभवित इलाकों में पशुओं के लिए 25 शिविर खोले गए हैं, जिनमें 31,00 से ज्यादा पशु रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी की गई है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में अतिरिक्त पशु चिकित्सकों की भी तैनाती की गई है।
बिहार राज्य जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक गुरुवार सुबह बिहार की कई नदियां बूढ़ी गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला बलान, कोसी, महानंदा और परमान नदियां विभिन्न स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही थीं। नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण कई क्षेत्रों में कटाव जारी है, जिससे लोग भयभीत हैं।
कई पहाड़ी नदियों में भी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी कम होने के बाद जो लोग अपने घर की ओर लौटे थे, वो दोबारा बाढ़ की आंशका से एक बार फिर ऊंचे स्थलों पर पहुंच गए हैं। ऐसे लोगों की परेशानियां और बढ़ गई हैं।