जमशेदपुर जमशेदपुर में बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता जमशेदपुर से टाटा कमिंस का कार्यालय महाराष्ट्र ले जाने का विरोध कर रहे थे। इसी को लेकर सुबह 11:00 बजे के करीब कार्यकर्ता झंडा बैनर लेकर गेट पर पहुंच गए और प्रदर्शन किया। हालांकि धरना प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने सुबह से ही पुलिस की तैनाती कर दी थी। जिससे कि किसी भी तरह की आशंका को दूर किया जा सके। पुलिस की तैनाती के कारण कोई झंझट और विवाद नहीं हुआ। मालूम हो कि पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार की एक चिट्ठी झारखंड सरकार को दी गई थी । जिसमें यह कहा गया था की टाटा कमिंस के पैन कार्ड का एड्रेस अब महाराष्ट्र के पुणे में कर दिया गया है। यह पता के परिवर्तन होने से झारखंड सरकार को कोई आपत्ति है या नहीं है, जानकारी लेने के लिए पत्र महाराष्ट्र सरकार की ओर से भेजा गया था। इसके बाद से ही यहां के राजनीतिक दलों के कान खड़े हो गए और सबसे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसका विरोध शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2016 में ही टाटा कमिंस का कार्यालय पुणे शिफ्ट हो चुका है।
टाटा स्टील नोवामुंडी और लांग प्रोडक्ट कंपनी के गेट को भी जाम किया
झामुमो ने पूर्व घोषित हुड़का जाम कार्यक्रम के तहत टाटा स्टील की नोवामुंडी और घाटकुरी स्थित टाटा लांग प्रोडक्ट कंपनी की विजय-2 खदान के मुख्य गेट को सुबह 6 बजे से ही जाम कर दिया है। इसका नेतृत्व पश्चिमी सिंहभूम झामुमो जिलाध्यक्ष सह चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव कर रहे हैं। इससे आयरन ओर की लोडिंग और अनलोडिंग का काम पूरी तरह बंद हो गया है। इस बंदी से अकेले एसएलपीएल खदान में लगभग 10-15 हजार टन लौह अयस्क का उत्पादन व लगभग 4 हजार टन डिस्पैच प्रभावित होने का अनुमान है। बुधवार सुबह छह बजे से ही उक्त दोनों खदानों का गेट झामुमो कार्यकर्ताओं ने जाम कर दिया और खदान के अंदर किसी को घुसने नहीं दिया।
झामुमो की मांगें
- टाटा कमिंस के पैन को झारखंड से पुणे स्थानांतरित करने का प्रस्ताव तत्काल रद्ध किया जाये.
- पुणे से विद्युत सामग्री और अन्य सामग्रियों की खरीद बंद होनी चाहिए. इन वस्तुओं की खरीद आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित इकाइयों से की जाये.
- जियाडा में स्थापित ईएमसी (इलेक्ट्रिकल मैनुफैक्चरिंग सेंटर) में स्थानीय उद्यमियों की इकाई को विकसित करने में सहयोग मिलना चाहिए
- विस्थापितों के लिए पुनर्वास योजना को तत्काल लागू किया जाना चाहिए, जिसमें शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं शामिल की जानी चाहिए.
- टाटा अपरेंटिशिप में 100 प्रतिशत भर्ती इस क्षेत्र के आदिवासी-मूलवासी को दी जानी चाहिए.
- सीएसआर पहलों और इसके लिए बजटीय प्रावधानों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, इसके अलावा सीएसआर कार्यक्रमों की उपलब्धि को समय-समय पर जारी किया जाना चाहिए.