आज यानि 11 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन है और आज के दिन मां स्कंदमाता की अराधना की जाती है। बता दें कि इस बार नवरात्रि में एक दिन घट रहा है और इसलिए नवरात्रि नौ दिन नहीं बल्कि 8 दिन रहेंगे। यानि दो तिथि एक ही दिन पड़ रही हैं। पंचमी तिथि आज केवल दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक ही रहेगा। इसलिए पांचवें नवरात्रि की पूजा 3 बजे से पहले ही सम्पन्न कर लें। पांचवें नवरात्रि में मां स्कंदमाता की अराधना की जाता है और मां अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें यश, बल, धन के साथ संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं.
मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत निराला है और इनकी चार भुजाएं हैं. मां की दो भुजाओं में कमल के पुष्प हैं. एक भुजा से मां आशीर्वाद दे रही हैं. जबकि चौथी भुजा से पुत्र स्कंद को गोद में लिया हुआ है. मां स्कंदमाता की सवारी है और मान्यता है कि पुत्र कार्तिकय यानि स्कंद की मां होने ही वजह से ही इनकी मां स्कंदमाता है. यानि इन्हें भगवान कार्तिकय की मां के रूप में पूजा जाता है.
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
मां स्कंदमाता को पीला व सफेद रंग प्रिय है और इस रंग के वस्त्र धारण करके पूजा की जाए तो मां प्रसन्न होती हैं. इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और मंदिर में मां की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं. इसके बाद अग्यारी करें और उसमें लौंग का जोड़ा, कपूर, घी चढाएं. नवरात्रि की पूजा में दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अच्छा माना जाता है. इसके बाद मां की आरती करें और भोग चढ़ाएं. पूजा में मां स्कंदमाता को केले या दूध की खीर का भोग लगाना चाहिए.
मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व
धर्म शास्त्रों के मुताबिक नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है और मान्यता है कि जो व्यक्ति संतान सुख के लिए पूरे विधि-विधान से मां की पूजा करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही यश, बल और धन की वृद्धि होती है.
मां का भोग-
- मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।
संतान सुख की प्राप्ति होती है
- मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।
स्कंदमाता का मंत्र…
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।