सुनीता बेदी के घर आयोजित काव्य गोष्ठी का संक्षिप्त विवरण

जमशेदपुर। कल अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के तत्वाधान में आयोजित की जाने वाली “घर घर कविता” श्रृंखला के क्रम में एक और कड़ी जोड़ते हुए, एक काव्य गोष्ठी परिषद् की प्राथमिक सदस्या श्रीमती सुनीता बेदी जी के बागुन नगर, बारीडीह जमशेदपुर स्थित आवास पर आयोजित की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जमशेदपुर की सुप्रसिद्ध कवयित्री और शिक्षाविद श्रीमती रागिनी भूषण ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर समाजसेवी और शिक्षाविद श्रीमती मंजू ठाकुर, विशिष्ट अतिथि के तौर पर उद्यमी और सुगम संगीत गायक, गीतकार, श्री जयंत श्रीवास्तव जी तथा तुलसी भवन साहित्य सम्मेलन के मानद महासचिव श्री प्रसेनजीत तिवारी जी उपस्थित रहें। कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के जमशेदपुर अध्यक्ष शैलेंद्र पांडे जी भी मुख्य सचेतक और कवि के तौर पर उपस्थित रहें।
कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री सरोज सिंह परमार ने सरस्वती वंदना से शुरू की।
कार्यक्रम में सभी कवियों और कवयित्रियों ने अपनी अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में वैसे तो रचनाएं मुख्यत नव वैश्विक वर्ष २०२३ के आगमन और बीते वैश्विक वर्ष २०२२ पर केंद्रित रही थी, यद्यपि श्रृंगार, सामाजिक बदलाव, महिला सशक्तिकरण, पौराणिक संस्कृति और राष्ट्रवाद से प्रेरित रचनाएं भी बहुसंख्यक मात्रा में पढ़े गए।

अध्यक्षता कर रही कवयित्री रागिनी भूषण ने अपनी अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रवाद को दृष्टिगोचर कर रचनाएं पढ़ने पर ज़ोर तो दिया ही, साथ ही, रचनाओं में व्याप्त व्याकरणीय त्रुटियों पर भी ध्यानाकर्षित किया।

मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित समाजसेवी और शिक्षाविद मंजू ठाकुर ने कहा कि एक दूसरे के बीच बढ़ती दूरियों को पाटने का उत्तम तरीका है कि हम बारी बारी से एक दूसरे घर पर कार्यक्रम करें ताकि हम सभी एक दूसरे से मिल सकें और दिलों की दूरियां जो बढ़ गई हैं वो कम हो सके। कहीं ना कहीं “घर घर कविता” कार्यक्रम का एक उद्देश्य यह भी है। उन्होंने परिषद् का मुख्य उद्देश्य, “अभिव्यक्ति वही जो राष्ट्र चेतना का स्वर हो” के प्रति समर्पित होने और अपनी बाते कविता या अन्य विधाओं के माध्यम से कहने पर ज़ोर दिया।

विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित श्री जयंत श्रीवास्तव जी ने परिषद् के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सभी का आह्वान किया और आपसी एकता और भाईचारे पर बल दिया एवं, श्री प्रसेनजीत तिवारी जी ने राष्ट्रवाद को आज के परिदृश्य में कविता और अन्य रचनाओं को मुख्य विषय बनाने हेतु उपस्थित कवियों और कवयित्रियों का आहवान किया। उन्होंने राष्ट्र में व्याप्त सनातन और हिंदी विरोधी गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित किया और सचेत होकर चलने, लड़ने की प्रेरणा दी। साथ ही कहा कि राष्ट्र के प्रति अपना प्रेम खुलकर प्रकट करे चाहे माध्यम कविता या कोई भी हो। उन्होंने हिंदी में अपनी बातें बेझिझक और गर्व से सभी मंचों पर अभिव्यक्त करने का भी आह्वान सभी से किया।

कार्यक्रम में उपरोक्त विशेष व्यक्तित्व के साथ साथ कवि विनोद बेगाना जी, संतोष कुमार चौबे, कवयित्री आरती श्रीवास्तव, शिप्रा सैनी मौर्य, सरोज सिंह, अनिता निधि, अंजू केशव अना, ममता सिंह, नीता चौधरी, सुनीता बेदी और सूर्या चौबे उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम का संचालन संतोष कुमार चौबे और धन्यवाद ज्ञापन सुनीता बेदी ने किया।

 

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