राजकीय अवकाश घोषित करें राज्य सरकार ,
कुड़मि शहीदों व कुड़मालि भाषा को उचित सम्मान प्रदान करें

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जमशेदपुर : 15 नवंबर वर्ष 2000 को झारखंडियों के लगभग 88 साल के कठिन संघर्ष और अनगिनत शहादतों के परिणामस्वरूप झारखंड अलग राज्य का निर्माण हुआ. उस संघर्ष में असंख्य महापुरुषों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसमें वीर शहीद निर्मल महतो का स्थान अद्वितीय है. वृहत झारखंडी जनमानस के बीच निर्मल दा के रूप में विख्यात क्रांतिकारी आंदोलनकारी की 8 अगस्त वर्ष 1987 को शहादत के बाद एक ओर जहाँ उन्हें “झारखंड का मसीहा” का दर्जा प्राप्त हुआ, वहीं अलग राज्य प्राप्ति के पश्चात अनेकों विद्वानों ने इसमें निर्मल दा की अतुलनीय योगदान बताया, स्वयं दिशोम गुरु श्री शिबु सोरेन के अनुसार, “निर्मल महतो के शहादत में झारखंड अलग राज्य का मार्ग प्रशस्त हुआ” तथापि आज तक उन्हें सरकारी तौर पर शहीद का दर्जा नहीं दिया गया, जो बड़े ही दुख की बात है. साथ ही 9 अगस्त को यूएनओ द्वारा “विश्व आदिवासी दिवस” के रूप में घोषित है, जो आदिवासियों के प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अतुलनीय योगदान को दुनिया के समक्ष प्रेरणा के तौर पर प्रकट करने और आदिवासियों के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से विशेष रूप से निर्धारित किया गया है,मगर झारखंड जैसे आदिवासी राज्य में भी अब तक इस दिवस की अनदेखी समझ से परे है।

इसके अलावे वर्तमान में झारखंड के मूर्ति गार्डेन में कुड़मि शहीदों व महापुरुषों को स्थान ना दिये जाने एवं कुड़मालि भाषा की उपेक्षा से कुड़मि समाज में खासी नाराजगी है. आदिवासी कुड़मि समाज, झारखंड प्रदेश समिति इन वर्तमान विभिन्न परिदृश्यों के मद्देनजर झारखंड सरकार से अपील करती है, कि

8 अगस्त को निर्मल महतो शहादत दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित किया जाय एवं इन्हें राजकीय शहीद का दर्जा देते हुए इनकी जीवनी को सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय।

09 अगस्त को भी विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राजकीय अवकाश घोषित किया जाय।

राजभवन स्थित मूर्ति गार्डेन में क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो, वीर शहीद चानकु महतो, झारखंड पितामह सारिगत बिनोद बिहारि महतो, झारखंड के मसीहा वीर शहीद निर्मल महतो आदि की प्रतिमा भी स्थापित किया जाय.

कुड़मि जनजाति की स्वायत्त कबिलावाची मातृभाषा “कुड़मालि” भाषा को जनजातीय भाषा की मान्यता देते हुए प्राथमिक विद्यालय स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक पठन-पाठन शुरू किया जाय.

उपरोक्त मांगें पूरी ना होने की स्थिति में लॉकडाउन के समाप्त होते ही 15 दिनों के भीतर राजभवन के समक्ष कुड़मि समाज द्वारा विशाल धरना प्रदर्शन कर जोरदार विरोध प्रकट किया जायेगा।

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