बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नियोजित शिक्षकों समान काम के बदले समान वेतन देने के फैसले से इंकार करते हुए बिहार सरकार को बड़ी राहत दी है ।इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को भी पलट दिया है । सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिहार के 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है ।
दरअसल इस फैसले को लेकर लाखों शिक्षकों की निगाहें दिल्ली पर टिकी थीं । जहां बिहार के नियोजित शिक्षकों के कई नेता भी दिल्ली में कैंप कर रहे हैं । आपको बता दें कि शिक्षकों से जुड़े इस बड़े फैसले में जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने अंतिम सुनवाई पिछले साल तीन अक्तूबर को की थी, जिसके बाद से फैसला सुरक्षित रखा गया था।
सात महीने बाद आने वाले इस फैसले का सीधा असर बिहार के पौने चार लाख शिक्षकों और उनके परिवार वालों पर पड़ेगा । बिहार के नियोजित शिक्षकों का वेतन फिलहाल 22 से 25 हजार है और अगर कोर्ट का फैसला शिक्षकों के पक्ष मे आता तो माना जा रहा था कि उनका वेतन 35-40 हजार रुपए हो जाएगा । शिक्षकों की इस लड़ाई में देश के दिग्गज वकीलों ने उनका पक्ष कोर्ट में रखा । ये लड़ाई 10 साल पुरानी है, जब 2009 में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने बिहार में नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन की मांग पर एक याचिका पटना हाइकोर्ट में दाखिल की थी ।और हाईकोर्ट ने वर्ष 2017 में अपना फैसला बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पक्ष में सुनाया था ।बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नियोजित शिक्षकों समान काम के बदले समान वेतन देने के फैसले से इंकार करते हुए बिहार सरकार को बड़ी राहत दी है । इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को भी पलट दिया है । सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार के 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका लगा है ।