जमशेदपुर:- रक्षा बंधन का त्योहार खुशी उल्लास के साथ मनाया जाता है । जिसमे बहने अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है ।
3 अगस्त को भद्रा सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक है. राखी का त्योहार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा. दोपहर को 1 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक बहुत ही अच्छा समय है. इसके बाद शाम को 7 बज कर 30 मिनट से लेकर रात 9.30 के बीच में बहुत अच्छा मुहूर्त है। भद्रा, शनि की बहन है ज्योतिष में इसे अशुभ माना गया है , इसमें नहीं किए जाते रक्षाबंधन आदि शुभ कार्य
शास्त्रों के अनुसार. इस बार रक्षाबंधन पर सबसे खास बात ये है कि कि इस दिन ये पर्व भद्रा दोष थोड़ी देर का है तरह से मुक्त है, जिसके चलते दिन भर बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी।
जानिए भद्रा से जुड़ी खास बातें- ज्योतिषी के लिए कुछ ऐसे होंगे जिनको ज्ञान नहीं
भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी?
- कोई भी शुभ काम करते समय भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है,
क्योंकि पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन है। - शनि की तरह ही इनका स्वभाव भी क्रोधी है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है।
- हिन्दू पंचांग के 5 प्रमुख अंग होते हैं। ये हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है। ये चर और अचर में बांटे गए हैं।
- चर या गतिशील करण में बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि गिने जाते हैं। अचर या अचलित करण में शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न होते हैं।
- इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है।
- जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या उनका नाश करने वाली मानी गई है। जब चन्द्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। – इस समय सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।