जमशेदपुर :झारखंड स्टेट बार काउंसिल (जेएसबीसी) की रिव्यू मीटिंग में यह निर्णय लिया गया है कि 2 मई तक राज्य भर के अधिवक्ता किसी भी तरह के न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं लेंगे। झारखंड के सभी अधिवक्ता ना तो एग्जीक्यूटिव कोर्ट व ना ही जुडिशल कोर्ट में उपस्थित होंगे और ना ही कोई अन्य न्यायिक कार्य करेंगे।निर्णय की अवहेलना करने पर काउंसिल डिसीप्लिनरी एक्शन लेगा।झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने द्वारा बताया गया है कि यह निर्देश राज्य के सभी वकीलों के लिए है।इस निर्णय की जानकारी सभी जिलों के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को पत्र के माध्यम से भेजी जा रही है। जानकारी हो कि कोरोना के बिगड़ते हालात के बाद पिछले दिनों झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने फैसला लिया था कि 15 दिनों तक अधिवक्ता अपने को न्यायिक कार्यो से अलग रखेंगे। लेकिन वर्तमान में स्थिति अनियंत्रित होती जा रही है। इसलिये झारखंड बार काउंसिल ने एक सप्ताह इसे और आगे बढ़ाया है, ताकि अधिवक्ताओं संक्रमण से बचाया जा सके।
झारखंड हाईकोर्ट में कोरोना वायरस संबंधित अगर किसी याचिका पर सुनवाई हुई तो उस याचिका से संबंधित अधिवक्ता न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकते हैं।लेकिन इसके अलावा अन्य किसी भी मामले में अधिवक्ता अदालत में उपस्थित नहीं होंगे, अगर कोई भी वकील काउंसिल के इस निर्देश की अवहेलना करता है तो उस पर काउंसिल डिसीप्लिनरी एक्शन लेगा। 17 में से 13 सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है। काउंसिल की रिव्यू मीटिंग में 17 सदस्यों ने अपने अपने विचार रखें. जिसमें 13 सदस्यों ने इस फैसले का समर्थन किया, तो वही चार सदस्य फैसले से नाखुश दिखे। जबकि 13 सदस्यों ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस निर्णय का समर्थन किया. अधिवक्ता अगले एक और सप्ताह तक न्यायिक कार्य से दूर रहें ताकि उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो सके, दूसरी ओर जमशेदपुर व्यवाहर न्यायालय के अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने झारखंड बार काउंसिल के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि हालात को देखते हुये काउंसिल ने जो फैसला लिया है, वह बहुत ही उचित व सराहनीय है।