जमशेदपुर : लोक आस्था व सूर्योपासना का महापर्व कार्तिक छठ बुधवार को नहाय खाय के साथ आज बुधवार से शुरु हो गया।नहाय-खाय के दिन घर-आंगन को पानी से धोकर साफ-सुथरा किया, कोरोना काल में पहली बार हो रहे छठ के लिए जारी नये गाईडलाईन के बीच व्रतियों ने नदी घाट जाकर स्नान किया, वहीं जो व्रती नदी घाट नही जा सके वे घर पर गंगाजल डालकर गंगा स्नान का फल प्राप्त किये। नदी घाट स्नान करने वाले व्रती अपने साथ वहां का जल भी लेकर आये, जिसे पूजा तथा प्रसाद बनाने के उपयोग किया गया,अरवा चावल का भात, चना दाल का दाल तथा लौकी की सब्जी बनाकर ग्रहण किया।
सब्जी तथा दाल में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया गया,जबकि सब्जी में लहसून व प्याज पूरी तरह से बर्जित रहता है, प्रसाद के रुप में यही खाना घर के सभी परिवार भी ग्रहण किया,साथ ही अपने परिचित को भी प्रसाद के रुप में खिलाया गया।
प्रसाद ग्रहण से पहले व्रतियों ने सूर्य को प्रसाद अर्पित किया. चढ़ाये गये प्रसाद को व्रती गौ माता को खिलाया, इस विधान से पूजा करने पर व्रती के पूरे परिवार को लाभ होता है. इस दौरान व्रती शुद्धता का पूरा ख्याल रखते हैं।
खरना गुरुवार, सूर्य को पहला अघ्र्य शुक्रवार
गुरुवार को खरना है, छठ व्रत में खरना का विशेष महत्व है, सुबह से व्रती घर-आंगन को साफ-सुथरा कर खरना की तैयारी करते हैं। मिट्टी से बने चुल्हा तथा लोहे के भी बने चूल्हे पर खरना का प्रसाद बनाया जाता है ।इसलिए व्रती मिट्टी के चुल्हा बनाने लग जाएंगे, इसमें जलावन के रुप में आम के लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा।
स्नानादि कर पूजा में इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तनों को धोयेंगे. शाम को प्रसाद के लिए अरवा चावल में गुड़ डालकर (रसियाव) खीर तथा रोटी बनाकर भगवान भाष्कर तथा छठ मईयां को अर्पित कर पूजा अर्चना करेंगी. इसके बाद ही प्रसाद को ग्रहण करेंगी. खरना के प्रसाद का विशेष महत्व है. पंडितों के अनुसार प्रसाद के ग्रहण करने मात्र से कई बिगड़े काम सफल हो जाते हैं. छठ मईयां की इस महिमा को लेकर खरना का प्रसाद ग्रहण करने के लिए लोग व्रतियों के घर जरुर पहुंचते हैं।
गुरुवार से शुरु हो जाएगा 36 घंटे का निर्जला व्रत
गुरुवार शाम खरना के प्रसाद ग्रहण के बाद 36 घंटे तक चलने वाला निर्जला छठ व्रत शुरु हो जाएगा।इस दौरान व्रती पानी समेत कुछ भी ग्रहण नही करेंगे. शनिवार को शाम को पहला अघ्र्य तथा रविवार को प्रात: ब्रह्मांड के साक्षात भगवान सूर्य को दूसरा अघ्र्य दिया जाएगा. पूजा के दौरान महिला व्रती शुद्धता का पूरा ख्याल रखती हैं. परिजन भी व्रती का ख्याल रखते हैं,दूसरा अघ्र्य अर्पित करने के पश्चात ही व्रती शर्बत समेत खाने के कुछ ग्रहण कर पारण करेंगी।
व्रतियों ने सुखाया गेंहू
छठ पर्व पर आटा के बने ठेकुआ प्रसाद के रुप में चढ़ाया जाता है. इस लिए व्रती बाजार से गेंहू खरीदकर पानी से धोने के बाद इसे खुले स्थान पर साफ कर सुखाया जाता है. गेंहू सुखाने के दौरान पशु-पक्षी पर पूरी नजर रखा जाता है।