ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और ऑल इंडिया ट्इराईबल लिटेररी फोरम के संयुक्त तत्वाधान में गूगल मीट : भारत में 2022 से 2032 तक अन्तराष्ट्रीय आदिवासी भाषा दशक मनाने के लिए कार्य योजना तैयार किया जाना चाहिए

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रांची/जमशेदपुर – कल 4 जुलाई 21 को संध्या ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और ऑल इंडिया ट्इराईबल लिटेररी फोरम के संयुक्त तत्वाधान में गूगल मीट के माध्यम से वर्चुअल बैठक हुई। गूगल बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न आदिवासी भाषाओं के लेखकों और भाषा कार्यकर्ता उपस्थित हुए। गूगल वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता भील भाषा के मशहूर लेखक और आदिवासी एकता परिषद के संस्थापक वाहरू फूलसिंग सोनवणे ने की।
वर्चुअल बैठक का संचालन ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के महासचिव रबिन्द्र नाथ मुर्मू ने किया। मदन मोहन सोरेन उपाध्यक्ष ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और संयोजक संताली परामर्श मंडल, साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने स्वागत भाषण दिया।
डा. वासवी किड़ो ऑल इंडिया ट्राईबल लिटेररी फोरम की राष्ट्रीय संगठन सचिव ने वर्चुअल बैठक में विषय प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि 2019 अन्तराष्ट्रीय भाषा वर्ष के तौर पर मनाया गया। यूनेस्को द्वारा भारत के लेखकों को जानकारी साझा करने की जिम्मेवारी निकोलस बारला को दी गई थी।लेकिन उन्होंने भारत के आदिवासी लेखकों को जानकारी साझा नहीं किया। अब 2022 से 2032 तक अन्तराष्ट्रीय आदिवासी भाषा दशक मनाने की घोषणा यूनस्को द्वारा की गई तो उसकी जानकारी फा.बारला ने साझा नहीं की।भारत में 2022 से 2032 तक अन्तराष्ट्रीय आदिवासी भाषा दशक मनाने के लिए कार्य योजना तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने 2022 से 2032 तक अन्तराष्ट्रीय आदिवासी भाषा दशक के लिए एशिया से प्रतिनिधि चुने जाने संबंधी जानकारी दी और कहा कि जो भाषा पर काम नहीं करते हैं अनाबेल बेंजामिन बाड़ा का चयन किया गया है। जबकि यूनेस्को में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और ऑल इंडिया ट्राइबल लिटेररी फोरम का नाम दर्ज किया गया था। पूरी तरह सेटिंग कर मैनीपुलेशन कर ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और ऑल इंडिया ट्राईबल लिटेररी फोरम को वंचित कर दिया गया।
यूनेस्को द्वारा भेजी गई 10 दिसम्बर 2021 की सूची में अनाबेल बेंजामिन बाड़ा का नाम के आगे किसी संगठन संस्था से जुड़े होने का परिचय नहीं लिखा था। रातोंरात बाड़ा आदिवासी एकता परिषद के हो गए। रातोरात ऑल इंडिया कुडूंख लिटेररी सोसायटी के हो गए और रातोंरात इंडिजिनस पीपुल इंडिया नामक संस्था भी खड़ी हो गई। यदि उनको एशिया का प्रतिनिधि होना था तो ऑल इंडिया कुडूंख लिटेररी सोसायटी के लेटर हेड में अनुशंसा करानी थी। आदिवासी एकता परिषद भाषा पर काम नहीं करता है। परिषद में आदिवासी लेखक जरूर हैं। लेकिन उनका भी नाम परिषद से अशोक चैधरी ने नहीं भेजा।दो घंटे पहले अशोक चैधरी से बात कर पत्र भेज दिए गए। जिसे लेकर सवाल उठ
रहे हैं।अनाबेल बेंजामिन बाड़ा दिल्ली विश्वविद्यालय में बिजनेस स्टडी पढ़ाते हैं।
आदिवासियों पर कुछ काम किया है। लेकिन आदिवासी भाषा पर उनका कोई काम नहीं रहा है।त्रिपुरा कोकबोरोक साहित्य सभा के अध्यक्ष बिकास देबबर्मा ने कहा कि भाषा पर काम करनेवालों को अवसर मिलना चाहिए और यूनस्को को लिखा जाना चाहिए।कर्नाटक के गोड़बोली भाषा के प्रो. शांथा नाइक ने कहा कि पूरे मामले का लेकर यूनस्कोको उनके तरफ से वे लिखेगें।प्रो. स्टीलेट ड्खार खासी लेखिका ने मेघालय से कहा कि गलत हुआ है। हमें लिखना चाहिए और एकजुट रहकर इसका विरोध करना चाहिए।
अध्यक्षीय भाषण करते हुए महाराष्ट् के ऑल इण्डिया लिटेररी फोरम के उपाध्यक्ष वाहरू फूलसिंग सोनवणे ने कहा कि भाषा आदिवासी जीवन दर्शन है। जीवन मूल्यों को सुरक्षित करता है। श्री बाड़ा का जो चयन हुआ चुनाव की प्रकिया ही गलत है। आदिवासी एकता परिषद का मैं संस्थापक हूं और आदिवासी एकता परिषद को पता ही नहीं है कि श्री बाड़ा का चयन हो गया। अशोक चैधरी, महासचिव आदिवासी एकता परिषद ने परिषद का पत्र देकर श्री बाड़ा का नाम भेज दिया। यह गलत हुआ है।
पूर्व विधायक और संताली भाषा में गीतांजलि अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि संयुक्त तौर पर प्रतिरोध दर्ज करना चाहिए और बड़ा कार्यक्रम लेना चाहिए। यूनस्को में एशिया का प्रतिनिधित्व के लिए अनाबेल बेजामिन बाड़ा के नाम का मनोनयन किया गया जिनका आदिवासी भाषाओं के क्षेत्र में कभी कोई योगदान नहीं रहा है। उन्होंने फर्जी तरीके से आदिवासी एकता परिषद के लेटर हेड का उपयोग कर अपनेनाम की अनुशंसा की।
सभा में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने यूनेस्को में एशिया महादेश का प्रतिनिधित्व के लिए अनाबेल बेंजामिन बाड़ा के नाम के मनोनयन को गलत ठहराया तथा विरोध प्रकट किया।
इस वर्चुअल सभा में सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए।
प्रस्ताव संख्या 1
यूनेस्को में एशिया महादेश का प्रतिनिधित्व के लिए अनाबेल बेंजामिन बाड़ा के नाम के मनोनयन का अविलम्ब रद्द कर वापस लिया जाए तथा उनके स्थान पर भारत की आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय आदिवासी भाषा संताली भाषा के लेखक को प्रतिनिधित्व दिया जाए। पर्यवक्षक के तौर पर भीेल, मुण्डारी, कुडूंख और गोंडी को प्रतिनिधित्व दिया जाए। या वर्षोंसे कार्य कर रहे आदिवासी भाषा के संगठनों को प्रतिनिधित्व दिया जाए।
प्रस्ताव संख्या 2-
सभा में यह पारित किया गया कि सभी संगठनों की ओर से सांगठनिक तौर पर तथा संयुक्त रूप से भी यूनेस्को को पत्र लिखा जाना चाहिए।
प्रस्ताव संख्या 3 –
भारत में आदिवासी भाषाओं के संरक्षण तथा विकास के लिए परिषद् बनाया जाए।जैसा राष्ट्रीय हिन्दी परिषद् कार्यरत है उसी तरह राष्ट्रीय आदिवासी भाषा परिषद् की स्थापना की जाए। National Council for Indigenous Language की स्थापना की जाए।
प्रस्ताव संख्या -4
भारत के सभी प्रदेशों में आदिवासी भाषाओं का संरक्षण तथा विकास के लिए राज्यवार आदिवासी भाषा साहित्य अकादमी की स्थापना की जाए।
प्रस्ताव संख्या 5
इस बैठक में सर्वसम्मति से आदिवासी भाषाओं का संरक्षण तथा विकास के लिए संयोजक मंडली का गठन किया गया। विकास देववर्मा, उषा किरण आत्राम, डावासवी किड़ो, रवीन्द्रनाथ मुरमू, वाहरू फूलसिंग सोनवणे, प्रो. स्टीमलेट दकार, शांता नाइक, थेसो क्रोपी संयोजक मंडली के सदस्य होगें।
प्रस्ताव संख्या 6
सभा में पारित किया गया कि इंटरनेशनल डिकेड ऑफ इंडिजिनिस लैंग्वेज 2022 – 2032 के अवसर पर भारत में कार्ययोजना तैयार करके भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों से प्रतिनिधिमंडल मिलकर कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
प्रस्ताव संख्या 7
यह पारित किया गया कि भारत सरकार के कला और संस्कृति मंत्रालय के मंत्री से मुलाकात कर भारत में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन और ऑल इण्डिया ट्राईबल लिटेररी फोरम को अधिकृत किया जाए।
प्रस्ताव संख्या 8
पारित किया गया कि झाड़खंड के मुख्यमंत्री माननीय हेमंत सोरेन से एक प्रतिनिधिमंडल मिलकर भाषा दशक मनाने के लिए कार्ययोजना बनाया जाए।
प्रस्ताव संख्या 9
पारित किया गया कि भारत के आदिवासी मंत्री माननीय अर्जुन मुण्डा, भारत सरकार से एक प्रतिनिधिमंडल मिलकरएक कार्ययोजना बनाया जाए और विभिन्न कार्यक्रम आगामी 10 सालों तक आयोजित किए जाए।
वर्चुअल बैठक में ऑल इंडिया ट्राईबल लिटेररी फोरम के अध्यक्ष हरि राम मीणा,मशहूर साहित्यकार जदुमनी बेसरा, त्रिपुरा कोकबोरोक साहित्य सभा के अध्यक्ष बिकास देबबर्मा, सूर्य सिंह बेसरा,प्रो. शांथा नाइक, अलोका कुजूर, अल्फा टोप्पो,लक्ष्मण किस्कू, पूर्णेंदू सोरेन, श्रीकांत सोरेन, गणेश मूर्मू, मंगत मुर्मू, उषा किरण आत्राम आदि ने अपने विचार रखे और सुझाव दिए।

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