जमशेदपुर : आदिवासी कुड़मि समाज बिरसानगर की नगर समिति द्वारा हुरलूँग गाँव में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अन्याय दिवस के रूप में मनाया गया एवं काली पट्टी लगाकर विरोध दर्ज किया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए नगर अध्यक्ष मानगर धीरेंद्र नाथ महतो टिड़ुआर ने अपने संबोधन में कहा ज्ञात हो कि 6 सितंबर 1950 को महामहिम राष्ट्रपति के विनिर्देश से संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत “अनुसूचित जनजाति” की सूची अस्तित्व में लाई गई। मगर इस सूची में देशभर के कई जनजातीय समुदायों के साथ छोटानागपुर पठार यानि बृहद झारखंड के अधिसूचित गुसटिधारि आदिम पिछड़ी “कुड़मि” जनजाति समुदाय को बिना किसी अधिसूचना के शामिल करने से छोड़ दिया गया था। जिसके बाद पिछले कई सालों से कुड़मि समाज विभिन्न रूपों में अपने वाजिब संवैधानिक हक-अधिकार और मूल पहचान को पाने के लिए निरंतर संघर्षरत है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के रिपोर्ट के अनुसार 1931 ई. में जो समुदाय आदिम जनजाति की सूची में शामिल थे, उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया। इसमें शामिल होने से छूट गये जनजातीय समुदायों को राज्य सरकार द्वारा अनुशंसा कर शामिल किया जाना था, मगर ऐसा भी नहीं किया गया। इस तरह से कुड़मि समुदाय द्वारा अपने साथ हुए इस घोर अन्याय के परिणामस्वरूप वाजिब हक और मूल पहचान से वंचित होने के कारण 6 सितंबर को प्रत्येक साल प्रतिरोध स्वरूप “अन्याय दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर मुख्य रूप से आ.कु.स. जिला पूर्वी सिंहभूम सह सरायकेला खरसवाँ संयोजक मंडली सदस्य मानगर प्रकाश महतो केटिआर , मानगर रामविलास महतो पुनुरिआर , मानगर कालीपद महतो डुमरिआर आदि ने संबोधित किया। बैठक में मुख्य रूप से दीपक महतो, निरानंद महतो, महादेव महतो, डाॅ तपन महतो, डाॅ उदित नारायण महतो, रूपचांद महतो, गोपाल महतो देवलाल महतो श्यामसुंदर महतो,बुद्धेश्वर महतो, दिवाकर महतो मानगरिन नंदिनी महतो, यामिनी महतो, कुसुम रानी महतो आदि मौजूद रहे।
ये रही माँग :-
- कुड़मि जनजाति समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करें।
- कुड़मालि भाषा को जनजातीय भाषा की मान्यता देते हुए संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध करें।
- आदि धर्म, प्रकृति धर्म “सारना” कॉलम लागू करें।