जमशेदपुर : ‘लिटरेचर ऑफ कुड़मालि लैंग्वेज’ फेसबुक पेज की ओर से गुगल मीट के माध्यम से संताल हुल के क्रांतिकारी नायक वीर शहीद चानकु महतो की 165वीं शहादत दिवस मनाई गई। इसमें झारखंड, बंगाल, उड़ीसा और असम से काफी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए।
आदिबासि कुड़मि समाज के प्रदेश अध्यक्ष प्रसेनजीत महतो ने शहीद की जीवनी का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि बृहद झारखंड की भूमि विद्रोह की धरती रही है। अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम संगठित जनविद्रोह चुआड़ विद्रोह से लेकर झारखंड आंदोलन तक कुड़मियों की महती भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि 09 फरवरी 1816 को गोड्डा के रांगामाटिया में जन्मे चानकु महतो ने अंग्रेजों और महाजनों के जुल्म और शोषण के खिलाफ रणभेरी भरी थी। बाद में संताल हुल में सिद्धु-कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजों से लोहा लिया था। अपने साथी बैजल सोरेन के पिता को साहुकार द्वारा तंग करने पर उसका अंत कर दिया था। सन 1855 ई. के अक्टूबर महीने में सोनार चक में आयोजित जनसभा में एक गद्दार नायब प्रताप नारायण के खबर से अंग्रेजों द्वारा किये गये हमले में घायल हुए। बाद में अपने ननिहाल बाड़ेडीह गाँव से गिरफ्तार हुए। इसके बाद 15 मई 1856 ई. को गोड्डा के राजकचहरी स्थित कझिया नदी के किनारे सरेआम फाँसी पर लटका दिये गये।
कार्यक्रम को संजीव महतो, प्रो. डॉ. सुधाँशु महतो, चन्द्रमोहन महतो, उमेश महतो, प्रकाश महतो आदि ने भी संबोधित किया। संचालन असम के सुरेश कुड़मि ने किया। इसके अलावे लक्ष्मीकांत महतो, खितिस महतो, योगेश्वर महतो, राजेश महतो, नवकिशोर मोहन्ता, अमित महतो, भूपेन्द्र महतो, गणेश महतो, हरिदास महतो, परितोष महतो, रश्मि महतो आदि मौजूद रहे।
इसके पूर्व फेसबुक पेज पर शहीद को लेकर आयोजित क्विज कंपीटिशन में 57 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इसमें प्रेम महतो, निरंजन कुड़मि, निश, तरुलता महतो, बबीता महतो और प्रसेनजीत महतो प्रथम, नंद किशोर महतो द्वितीय एवं योगेश्वर महतो, निक और धनपति महतो तृतीय स्थान प्राप्त किये।
संताल हुल के क्रांतिकारी नायक वीर शहीद चानकु महतो की 165वीं शहादत दिवस मनाई गई
