विद्या भारती चिन्मय विद्यालय में वसंत पंचमी पर माँ शारदे की पूजा का आयोजन किया गया

जमशेदपुर: वसंत पंचमी विद्या और ज्ञान की देवी माँ शारदे के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। देवी सरस्वती स्वयं में ज्ञान और जीवन का प्रतीक हैं। उनके साथ जुड़े हुए हर प्रतीक का अपना महत्त्व है।पुस्तक के माध्यम से ज्ञान अर्जन करके अवसाद, चिंता, उन्माद आदि से बचने का रास्ता प्राप्त होता है। पुस्तकों को जीवन में अपनाकर नकारात्मक मनोवृत्तियों से बचा जा सकता है।
माँ सरस्वती वीणा के माध्यम से जीवन में रस होने का संदेश देती हैं।कोरे ज्ञान वालों का जीवन शुष्क हो जाता है । माँ सरस्वती हमें वीणा और किताब दोनों को साथ लेकर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।हंस, नीर, क्षीर और विवेक के नाते जाना जाता है। कहा जाता है कि हंस दूध में मिले पानी को अलग कर देता है और दूध पी लेता है।हंस इस बात का संदेश देता है कि आप के सामने बहुत कुछ उपलब्ध है, उसमें से जो कल्याणकारी है, उसे ही अपनाएं। जो व्यर्थ है उन्हें छोड़ दें।कमल हमें विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।कमल कीचड़ में खिलता है। इसके बाद भी सुंदरता और कोमलता से सभी का मन हर लेता है। हमें इससे सीख लेनी चाहिए।
विद्यार्थियों व समाज में यही गुण प्रसारित हों और इस सद्कर्म में माँ शारदे का आशीर्वाद हो, इस उद्देश्य से विद्या भारती चिन्मय विद्यालय में वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर माँ शारदे की पूजा आयोजित की गई जिसमें कुछ शिक्षक – शिक्षिकाएँ व 12वीं कक्षा के कुछ विद्यार्थी कोविड नियमों का पालन करते हुए शरीक हुए और शेष सभी विद्यालय सदस्य व विद्यार्थी वर्चूअल माध्यम से इस शुभ अनुष्ठान में सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रार्थना व कलश पूजन से हुआ, तत्पश्चात् दीप प्रज्ज्वलन के साथ पूजा, 108 सरस्वती नामावली पाठ, भजन, हवन,सरस्वती आरती, पुष्पांजलि व शान्ति पाठ के साथ पूजा सम्पन्न हुई और फिर प्रसाद वितरण। दिवस विशेष पर कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थियों ने गणेश पंचरत्नम, गुरु स्तोत्रम् व सरस्वती स्तोत्रम् का पाठ किया।विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती मीना विल्खु ने बच्चों में विकसित होती आध्यात्मिक भावना की सराहना की।

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