पानी घटते ही धान की खेती में जुटे किसान

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किशनगंज:- मानसून के दस्तक देते ही लगातार हो रही बारिश  से खेत-खलिहानों में जलजमाव हो चुका है। नदियों के उफान से जलमग्न हो चुके खेत खलिहान  दो दिन पहले तक हर तरफ बाढ़ जैसे हालात दिखाई दे रहे थे। वहीं पानी उतरते ही किसान धान रोपनी में जुट गए हैं। घर आंगन में फैले पानी व तमाम झंझावतों को पीछा छोड़ किसान हल बैल लेकर सुबह से खेतों पर पहुंच रहे हैं।

जलजमाव से खेतों की मिट्टी में पूरी तरह नमी आ गई है। अब खेतों में हल चलाने के लिए तैयार किसान जल्द से जल्द धनरोपनी में जुटे हैं। जबकि कुछ किसान बारिश से पूर्व निजी पंपसेट से अपने खेतों में खरीफ फसल की बोआई कर चुके हैं। लेकिन बारिश होने से 90 फीसद किसान अब खेती को लेकर खेतों में काम शुरू कर दिए हैं। खेतों में पानी देख किसानों को बेहतर फसल उत्पादन की उम्मीद जगी है। हालांकि किसानों को लगातार हो रही बारिश से मजदूर नहीं मिलने और खाद के बढ़े कीमतों से परेशानी हो रही है। वहीं खेतों में अत्यधिक जलजमाव की समस्या अभी भी बरकार है।

वहीं विभाग द्वारा 228,000 मीट्रिक टन धान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। विभाग का मानना है कि इस बार खरीफ धान की खेती जिले के 83,000 हेक्टेयर खेतिहर जमीन पर की जाएगी। इसके लिए जिला कृषि कार्यालय को प्रखंडवार लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसके अंतर्गत किशनगंज प्रखंड में 11,078 हेक्टेयर, कोचाधामन प्रखंउ में 13,047 हेक्टेयर, बहादुरगंज प्रखंड में 11,724 हेक्टेयर, दिघलबैंक प्रखंड में 11,646 हेक्टेयर, ठाकुरगंज प्रखंड में 11,610 हेक्टेयर, पोठिया प्रखंड में 11,895 हेक्टेयर और टेढ़ागाछ प्रखंड में 12000 हेक्टेयर में खेती होनी है।

कृषि विभाग द्वारा खरीफ फसल उत्पादन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगा कर किसानों को जागरूकता किया गया। इस क्रम में किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किए गए। जिससे कि किसान अपने खेतों में जरूरत के अनुरूप ही खाद का प्रयोग करें। किसानों को सिचाई की सुविधा के लिए बिजली कनेक्शन के लिए बिजली विभाग में आवेदन दिलाए गए हैं। मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना योजना 2019 के तहत 771 ग्राम में किसानों के बीच 231.30 क्विटल धान के बीच वितरित किए जा रहे हैं।

खरीफ फसल की खेती में किसानों की बढ़ी मुश्किलें

इस संदर्भ में किशनगंज के किसान चंद्रलाल यादव से जब हमारी बात हुई तो उन्होंने बताया कि बारिश होने से खरीफ फसल की खेती करने में आसानी होगी। लेकिन अधिक बारिश के कारण निचले जमीन वाले खेतों में पानी भर गया है। जिस वजह से खेतों में हल चलाना संभव नही हो पा रहा है। चारों ओर बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। ऐसी विकट स्थति में फिलहाज धान की रोपनी करना संभव नहीं है। लेकिल जैसे ही खेतों में लगे बाढ़ के पानी हट जाएंगे, खेती शुरू हो जाएगी। 

 

लगातार हो रहे बारिश से खरीफ फसल की खेती के लिए उपयुक्त समय आ गया है। लेकिन जलजमाव के कारण मजदूर भी नही मिल रहे हैं। खेती के लिए जो मजदूर मिलते हें। वे जरूरत से अधिक मजदूरी की मांग कर रहे हैं। समस्या यह है कि अधिक मजदूरी देकर भी जल जमाव वाले खेतों में रोपनी नही किया जा सकता है। मौसम को देखते हुए लगने लगा है कि कहीं बाढ़ न आए जाए। अगर बाढ़ आ गए तो खेतों में रोपे गए धान नष्ट हो जाएंगे। 

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