जमशेदपुर : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जी पर हेमन्त सरकार द्वारा स्थापना दिवस पर किये गए खर्च की जाँच एसीबी से करने के फैसले पर सूबे की मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुँजन यादव ने शुक्रवार को जारी प्रेस-विज्ञप्ति में कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पांच वर्ष के शासनकाल में बेदाग सरकार चलाई। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर पिछले सात वर्षों से विरोधी आरोप लगाने का मौका ढूंढ रहे हैं और हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। उन्होनें कहा कि आरोप लगाना इस सरकार के लिये कोई नई बात नही है। परंतु जिस आरोप को स्वयं सदन के पटल पर क्लीन चिट दी गयी हो उस पर दुबारा एसीबी को जाँच का आदेश देना हास्यास्पद है। इस आरोप के दोबारा जाँच का आदेश ये सिद्ध करने के लिए काफी है कि ये सरकार पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से किस प्रकार डरी हुई है। हेमंत सरकार द्वारा पुराने बंद हो चुके मामले में जांच का आदेश देना सरकार की बौखलाहट दर्शाती है। उन्होंने कहा कि पुर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सरकार पर कई गंभीर हमले कर उन्हें चेताने का काम किया, पर जिस तरह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हताशा में इस प्रकार का कदम उठाया है वो राज्य की जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास है। जो पूर्ण रूप से असफल प्रयास साबित होगा। उन्होंने राज्य सरकार से अविलंब निष्पक्ष जांच करने की मांग है।
वहीं, भाजपा महानगर प्रवक्ता प्रेम झा ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर आज तक विरोधियों ने पुर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर बस आरोप ही लगाती आयी है। कभी फ़ोन टेप के मामले तो कभी विधानसभा में फ़ाइल के मामले। सभी मामलों में रघुवर दास ने खुदको बेदाग साबित कर विरोधियों को चित्त किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगर पूर्व सीएम रघुवर दास पर तमाम उचित/अनुचित होम-मेड साक्ष्यों के साथ आरोप लगा रही है तो इसमें आश्चर्यचकित होने जैसी कोई बात नही है। ये तरीका अपराजित योद्धाओं को पराजित करने का मौर्यकालीन व्यूह है। यानी कि ऐसा व्यक्ति जो वैचारिक युद्ध की हर कला के प्रावीण्य स्तर पर हो, उसे तार्किक रूप से पराजित नहीं किया जा सकता। वैसे ये तरीका कोई नवीन नहीं है। बल्कि ये आचार्य चाणक्य के मगध का मौर्यकालीन तरीका है। परंतु राजनीति से प्रेरित आरोप प्रत्यारोप की अंतर्द्वंद्व में घिरी हेमंत सरकार राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता का कितना हित करेगी, इस पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है।